इस दौरान भगवान भोलेनाथ शिव का सावन सोमवार का पर्व एक माह के लिए जारी रहता है। वहीं हरियाली व कृष्णाजन्माष्टमी का त्योहार भी होगें। इस बीच शादी ब्याज का आयोजन तो नहीं होंगे, लेकिन पूजा -पाठ व अन्य आयोजन जारी रहेगा।
देवशयनी एकादशी से मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया है। ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसकी वजह से वैवाहिक कार्यक्रम नहीं किए जाते। इस दौरान पूजा-अर्चना सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहेगा और पूरे सावन भर भक्तजन भगवान शिव की भक्ति में लीन रहेगें।
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से शुरुआत पर्व-व्रत की श्रृंखला में 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाया गया। पंचाग के अनुसार देवशयनी एकादशी 5 जुलाई को शाम 6.58 बजे से शुरू हो चुकी है, जो 6 जुलाई को रात 9.14 बजे समाप्त हुई। सूर्योदय तिथि को मानने की वजह से भक्तों ने 6 जुलाई को एक पर्व मनाया।
भगवान विष्णु को समर्पित इस पर्व पर बड़ी संख्या में भक्तों ने व्रत रखकर
भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर मंगल कामना की एवं दान-पुण्य में जुटे रहे। ऐसी मान्यताएं है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु इसी दिन से चार माह के लिए क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवें दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो चुका है। 6 जुलाई से 1 नवंबर तक चातुर्मास रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य विवाह, गृह प्रवेश वर्जित माना जाता है।
पंचाग के मुताबिक 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवउठनी एकादशी पर्व व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते है। इसके साथ ही शुभ कार्य एवं मांगलिक कार्यों की पुन: शुरूआत होती है। देवउठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक आयोजनों की धूम रहेगी। नवंबर माह में पंचाग के अनुसार 22, 23, 24, 25, 29, 30 को एवं दिसंबर में 1, 4, 5, 6, 10 को वैवाहिक मुहूर्त है।
इस दौरान लोगों की व्यस्तता मांगलिक आयोजनों में बनी रहेगी। देवउठनी एकादशी के साथ ही अंचल के शहर सहित ग्रामीण इलाकों में मंडई मेलो के आयोजनों की श्रृंखला शुरू हो जाएगी। शहरी सहित ग्रामीणजनों की व्यस्तता गांव-गांव में लगने वाले मंडई मेले में होने लगेगी। बहरहाल चार माह के लिए मांगलिक एवं शुभ कार्यों में विराम रहेगा। पूजा-अर्चना एवं धार्मिक आयोजनों का क्रम जारी रहेगा।