जांच में खुलासा होने के बाद कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने दोनों फैक्ट्री को बंद करने व बिजली व पानी की सुविधा पर भी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। इंदावानी जलाशय में केमिकलयुक्त जहरीला पानी समाहित होने से सैकड़ों मछली मर गई थी। पत्रिका ने इस गंभीर मामले को लेकर सोमवार को खबर प्रकाशन कर प्रशासन को अवगत कराया था। पत्रिका की खबर बाद कलेक्टर सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने जांच टीम गठित कर मौके पर भेजा।
CG News: अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र बंद पाया
क्षेत्रीय अधिकारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई द्वारा सौंपे गए प्रतिवेदन के आधार पर दोनों औद्योगिक संस्थानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित विभागों को दोनों उद्योगों को दी जाने वाली बिजली, पानी एवं अन्य सुविधाओं की आपूर्ति तत्काल प्रभाव से बंद करने निर्देश दिए गए है। उद्योगों को इन विसंगतियों को दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का पालन करने में विफल होने पर जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। जांच टीम में क्षेत्रीय अधिकारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल डॉ. अनिता सांवत, कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग निलेश रामटेके, इंडस्ट्री हेल्थ एवं सेफ्टी डीपी मास्कोले, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र सानू वी वर्गीश, सहायक संचालक मत्स्य विभाग सुदेश कुमार साहू एवं राजस्व विभाग से गंगाधर, नायब तहसीलदार राजनांदगांव उपस्थित थे। मौके पर जांच का पंचनामा तैयार किया गया।
जल प्रदूषण का कारण बना
CG News: निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि मेसर्स ओरिएंट इस्पात प्राइवेट लिमिटेड ग्राम टेड़ेसरा में अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र चालू नहीं पाया गया। अपशिष्ट जल फैक्ट्री परिसर के बाहर छोड़ा गया और पास के क्षेत्र में स्थित तालाब के पानी में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बना। इससे पता चलता है कि उद्योग द्वारा प्रदूषित पानी नहीं जाना चाहिए था। शून्य डिस्चार्ज की स्थिति को नहीं बनाकर रखा गया। वहीं औद्योगिक परिसर के पीछे स्थित एक गड्ढे में बड़ी मात्रा में फैक्ट्री का अपशिष्ट संग्रहित पाया गया। जिससे आस-पास के क्षेत्रों में जल प्रदूषण हो रहा था। हाउस कीपिंग की स्थिति भी संतोषजनक नहीं पाई गई। पीएस स्टील ट्यूब्स प्राइवेट लिमिटेड के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र ठीक से चालू नहीं पाया गया। अपशिष्ट जल फैक्ट्री परिसर के बाहर छोड़ा गया तथा पास के क्षेत्र में स्थित तालाब के पानी में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बना।