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वाह रहे सरकार, कैसे खिलाड़ी होंगे तैयार, स्कूलों में भेजे लकड़ी के बैट, प्लास्टिक की बॉल

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री वितरण के लिए सरकार ने केंद्रीकृत प्रणाली अपनाई है, लेकिन इसका असर स्कूलों पर उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है।

राजसमंदMar 26, 2025 / 04:06 pm

Madhusudan Sharma

Sports New

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रेलमगरा. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री वितरण के लिए सरकार ने केंद्रीकृत प्रणाली अपनाई है, लेकिन इसका असर स्कूलों पर उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। पहले जहां विद्यालयों को खुद अपनी ग्रांट से खेल सामग्री मिलती थी, अब सीधे सरकारी स्तर पर खेल किट भेजे जा रहे हैं, और यह व्यवस्था कई समस्याओं को जन्म दे रही है।

बिना जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराई, बढ़ाई परेशानी

केंद्र सरकार ने 22 करोड़ 29 लाख 23 हजार रुपये की लागत से 20120 स्पोर्ट्स किट भेजने का निर्णय लिया है, लेकिन इस किट में कई ऐसी चीजें शामिल की गई हैं, जिनका स्कूलों में कोई खास उपयोग नहीं है। जैसे हवा भरने के पंप, वजन तोलने की मशीन और इंची टेप जैसी सामग्री, जो साल में कभी-कभी ही काम आती हैं। इसके अलावा, कई विद्यालयों में खेल कक्ष या मैदान तक नहीं हैं, जिससे इन सामग्रियों को रखना भी मुश्किल हो रहा है।

खेल सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल

नई व्यवस्था के तहत दी गई खेल सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। विद्यालयों को जो सामान मिला है, वह न तो ब्रांडेड है, न ही टिकाऊ। कई स्कूलों में जिन खेलों की सामग्री की ज़रूरत थी, वे उसमें शामिल नहीं हैं। जैसे, कबड्डी के लिए मेट, सॉफ्ट बॉल के लिए पोल और बॉल, कुश्ती व बॉक्सिंग के लिए ग्लव्स और हेलमेट की जरूरत होती है, लेकिन इन सभी चीजों का कहीं नामो-निशान नहीं है।

खेलों की जरूरत और किट की असंगतता

चौंकाने वाली बात यह है कि टेनिस क्रिकेट के लिए दी गई किट अब पूरी तरह से बेकार हो चुकी हैं, क्योंकि स्कूलों में इस खेल की प्रतियोगिताएं अब नहीं होतीं। वही हाल फुटबॉल और वॉलीबॉल का भी है, जिनकी गुणवत्ता बहुत खराब है, जिससे खिलाड़ियों को परेशानी हो रही है।

किट के प्रकार और उनका वितरण

प्राथमिक विद्यालय (टाइप-1): इसमें प्लास्टिक क्रिकेट बेट, प्लास्टिक के स्टंप, प्लास्टिक की बॉल, फुटबॉल, फ्रिसबी, टेनिस बॉल, हर्डल, स्किपिंग रोप, डबल एक्शन पंप, फर्स्ट एड किट, स्नैक लैडर उपलब्ध कराए जाएंगे। इस तरह के कुल 8997 किट वितरित होंगे। इन प्रत्येक किट की लागत 4725 रूपये होगी और इस पर कुल 42,510,825 रूपये खर्च किए जाएंगे।
उच्च प्राथमिक विद्यालय (टाइप-2): इसमें टेनिस बॉल, फूटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट बैट वूडन, क्रिकेट बैट प्लास्टिक, क्रिकेट स्टंप प्लास्टिक, क्रिकेट बैट प्लास्टिक, बैड मिन्टन रेकेट, हैंडबॉल, मेजरिंग टेप, शटल कॉक, फूट पंप, हर्डल, फर्स्ट एड किट शामिल हैं। प्रत्येक किट पर 9300 रूपयों का खर्च आएगा। वहीं प्रदेश में कुल 5795 किट वितरित होंगे। जिस पर कुल 53,893,500 रूपये खर्च किए जाएंगे।
उच्च माध्यमिक विद्यालय (टाइप-3): इस किट में बास्केटबॉल, फुटबॉल, क्रिकेट बैट, शटल कॉक और अन्य सामग्री शामिल है। इन विद्यालयों में उपलब्ध कराए जाने वाले खेल किट में टेनिस बॉल, फूटबॉल, वालीबॉल, वालीबॉल नेट, क्रिकेट बैट वूडन, क्रिकेट बैट प्लास्टिक, प्लास्टिक स्टंप, हैडबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिन्टन रैकेट, नेट, मेजरिंग टेप, वेट मशीन, स्किपिंग रोप, फूट एयर पंप, रिले बेटन, स्टॉप वॉच, विसिल, फ्रिसबी, फर्स्ट एड किट शामिल है। इस तरह के कुल 5328 किट वितरित होंगे। जिन पर 23746 रूपया प्रत्येक किट एवं कुल 12,65,18,688 रूपयों का खर्च आएगा। कुल मिलाकर, किट की कीमत 4725 रुपये से लेकर 23746 रुपये तक है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन किटों में शामिल सामग्री स्कूलों की वास्तविक जरूरतों को पूरा कर पा रही है?

शिक्षक और प्रशासन की राय

खेल सामग्री को विद्यालयों की जरूरत के हिसाब से दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब जो सामग्री मिल रही है, वह उपयोगी नहीं है। कई स्कूलों में जिन खेलों की सामग्री दी गई है, वहां वो खेल ही नहीं होते।
राजेश गुर्जर, प्रांतीय उपाध्यक्ष शारीरिक शिक्षक संघ, राजस्थान

गुणवत्तापूर्ण सामग्री की ज़रूरत थी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खेल मैदान ही नहीं हैं, और जिन खेलों को खेला जा रहा है, उनकी सामग्री किट में शामिल ही नहीं की गई।
दिनेशकुमार सनाढ्य, जिलाध्यक्ष शारीरिक शिक्षक संघ, राजसमन्द

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