अब युवाओं को हो रही है बुजुर्गों वाली बीमारी
शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस यानी हाल की बातों को भूल जाना, अब युवाओं के लिए आम बात बनती जा रही है। मध्य प्रदेश के रतलाम के निवासी मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मल जैन बताते हैं कि यह एक सामान्य मानसिक समस्या हो सकती है, लेकिन अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह व्यक्ति के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन दोनों को प्रभावित कर सकती है। खासतौर पर 20 से 35 वर्ष के युवाओं में इस तरह के केस तेजी से सामने आ रहे हैं। यह भी पढ़े –
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रतलाम शहर की एक निजी बैंक में कार्यरत दीक्षा सेल्स डिपार्टमेंट में काम करती है। करियर को लेकर उसकी चिंता, कार्यभार का बढ़ता दबाव और पारिवारिक समस्याएं उसके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही हैं। इसी के चलते वह एक बार अपनी कंपनी की महत्वपूर्ण मीटिंग का समय भूल गई, जिससे न केवल उसकी कार्यक्षमता पर सवाल खड़े हुए बल्कि उसका आत्मविश्वास भी कमजोर हुआ। दीक्षा बताती है कि अब उसे छोटी-छोटी बातें भी याद नहीं रहतीं।
केस दो : एग्जाम में जवाब भूला मनोज
पीएम एक्सीलेंस कॉलेज में पढ़ने वाला मनोज शर्मा परीक्षा के दौरान उन प्रश्नों के उत्तर भूल गया, जो उसे अच्छी तरह से याद थे। इतना ही नहीं, घर में छोटे-छोटे कार्यों को भूलने की वजह से उसे परिजनों की डांट भी सुननी पड़ती है। कई बार वह किसी जरूरी काम को करने उठता है, लेकिन सोशल मीडिया में व्यस्त होकर भूल जाता है कि उसे क्या करना था। यह सब शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस के स्पष्ट संकेत हैं। यह भी पढ़े –
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- याददाश्त में कमी: हाल की घटनाओं या बातों को भूल जाना।
- ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत: किसी भी कार्य पर पूरी तरह ध्यान न दे पाना।
- नई जानकारी समझने में परेशानी: कुछ नया सीखने या समझने में कठिनाई महसूस होना।
- छोटी चीजें भूल जाना: जैसे चाबी या मोबाइल कहां रखा है, ये भी याद न रहना।
डॉ. जैन कहते हैं कि इन लक्षणों को हल्के में लेना गलत होगा। अगर समय रहते इलाज नहीं किया गया, तो समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
समस्या का समाधान है संभव, अपनाएं ये उपाय
- मानसिक व्यायाम करें: पहेलियां हल करना, शुद्धलेख लिखना, शब्द खोज खेलना और ध्यान केंद्रित करने वाले अभ्यास याददाश्त बढ़ाते हैं।
- संतुलित आहार लें: हरी सब्जियां, ताजे फल, सूखे मेवे और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार जैसे मछली, अखरोट आदि मस्तिष्क के लिए फायदेमंद हैं।
- तनाव कम करें: योग, प्राणायाम, ध्यान और खुलकर बातचीत करने से मानसिक तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
- अच्छी नींद लें: नींद की कमी भी याददाश्त पर असर डालती है। रोज़ाना कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है।