पुलिस अधिकारी ने आयोजकों से पूछा कि यह मेला किसके नाम पर आयोजित किया जा रहा है। जब उन्हें बताया गया कि यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होता है, तो उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर लूटने वाले आक्रमणकारी के नाम पर कोई मेला नहीं लगने दिया जाएगा।
लुटेरे के नाम पर मेला नहीं?
पुलिस प्रशासन का कहना है कि सालार मसूद गाजी इतिहास में हमलावर और लुटेरे के रूप में जाना जाता है। जिला प्रशाशन का तर्क है कि ये मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में होता था। ये कुरीति थी, अब इस कुरीति को आगे नहीं चलना दिया जाएगा। उसने भारत में कई स्थानों को लूटा और सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। ऐसे व्यक्ति के नाम पर मेला लगाना और उसका महिमामंडन करना उचित नहीं है। नेजा मेले के खिलाफ उठी आवाज
इससे पहले भी एक समुदाय के लोगों ने इस मेले के आयोजन का विरोध किया था। उन्होंने प्रशासन से अपील की थी कि ऐसे व्यक्ति के नाम पर मेला आयोजित करना गलत है, जिसने देश को लूटा और उसकी संस्कृति को नुकसान पहुंचाया। इस विरोध को देखते हुए भी पुलिस ने मेले की अनुमति नहीं दी।
क्या था नेजा मेला?
नेजा मेला एक धार्मिक आयोजन था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते थे। हर साल होली के बाद यह मेला आयोजित किया जाता था और इसमें धार्मिक झंडा गाड़ने की परंपरा थी। लेकिन इस बार प्रशासन ने ऐतिहासिक तथ्यों और लोकल विरोध को ध्यान में रखते हुए मेले पर रोक लगा दी है। संभल में इस बार सालार मसूद गाजी के नाम पर नेजा मेला नहीं लगेगा। पुलिस प्रशासन का कहना है कि हमलावर और लुटेरे के नाम पर किसी भी तरह का महिमामंडन स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद जहां कुछ लोगों ने पुलिस का समर्थन किया, वहीं कुछ लोगों ने इसे धार्मिक मामलों में दखलंदाजी बताया है।