घटनाक्रम रविवार शाम की पारी के दौरान हुआ। इस दौरान पर्ची सिस्टम से पार्क भ्रमण पर गईं ये जिप्सियां टकरा गईं। उल्लेखनीय है कि रणथम्भौर बाघ परियोजना में लगातार बिना टिकट पर्चियों से जिप्सियां भेजने के मामले सामने आ रहे हैं। पर्यटकों को साइटिंग के लिए यह जिप्सियां सारे-नियम कायदों को भी तोड़ रही हैं।
विभाग ने साधी चुप्पी
हादसे ने वन विभाग में एक बार सरकारी जिप्सियों के नाम पर इन्हें बड़ी होटलों एवं एजेंटों के लिए बेचे जाने के खेल को उजागर कर दिया है। वहीं इससे वन विभाग में उच्च स्तर तक भ्रष्टाचार की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि इस संबंध में पत्रिका ने रणथम्भौर बाघ परियोजना के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया तो किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया और न ही कोई जवाब दिया।
गत दिनों भी हुआ था हादसा
रणथम्भौर में लगातार पर्यटन वाहनों के हादसे के शिकार होने के मामले सामने आ रहे हैं। 25 जनवरी को भी सुबह की पारी में भ्रमण पर गई एक सरकारी जिप्सी त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग पर पर्यटकों से भरे एक कैंटर में पीछे से जा घुसी थी। बाद में वन विभाग की ओर से क्षतिग्रस्त जिप्सी को जोगी महल गेट के भीतर खड़ा करा दिया गया था। जानकारी के अनुसार रणथम्भौर के जोन दो के झालरा वन क्षेत्र में टाइगर साइटिंग के लिए पर्यटन वाहन आए थे। इस दौरान पर्यटकों को बाघ नजदीक से दिखाने के लिए दो सरकारी जिप्सी आरजे 25, टीए 1732 तथा आरजे 25, टीए 2214 रणथम्भौर में तेज गति से दौड़ रही थी। इस दौरान दोनों भिड़ गई। हादसे में वाहन चालक रामलाल निवासी खिलचीपुर और पर्यटक राजू पुत्र छोटेलाल निवासी मथुरा, सुनील पुत्र रामकिशोर निवासी मथुरा घायल हो गए।