उन्होंने इस नजारे को कैमरे में कैद किया। रणथम्भौर में सबसे पहले मगरमच्छ को बाघों की अम्मा के नाम से मशहूर बाघिन टी-16 यानी मछली ने अपना शिकार बनाया था। उसके बाद वन्यजीव प्रेमियों की ओर से उसे क्रोकोडाइल किलर नाम दिया था। बाघिन एरोहैड की उम्र करीब 16 साल से अधिक है और बोन ट्यूमर से भी जूझ चुकी है। वर्तमान में बाघिन शारीरिक रूप से काफी कमजोर है।
बेटी भी कर चुकी है मगरमच्छ का शिकार
एरोहैड की बेटी रिदि्ध अपनी मां से पहले इस कारनामे को अंजाम दे चुकी है। पूर्व में बाघिन रिदि्ध ने भी मगरमच्छ को शिकार बनाया था। इतना ही नहीं रिदि्ध ने तो एक बार कछुए का भी शिकार किया था। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघिनों की ओर से मगरमच्छ के शिकार के अब तक केवल तीन मामले सामने आए हैं। हर बार यह कारनामा मछली या फिर उसकी वंशबेल की किसी अन्य बाघिन ने ही किया।