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तापमान गिरने पर पड़ेगा पाला, किसान करें जरूरी तैयारी

– फसलों को पाले से बचाने कृषि वैज्ञानिक दे रहे सलाह

सिवनीDec 24, 2024 / 07:09 pm

sunil vanderwar

खेत में तैयार हो रही फसल।

खेत में तैयार हो रही फसल।

सिवनी. रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं, चना, मक्का व अन्य फसलों को शीतलहर पाले से काफी नुकसान होता है। जब तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से कम होने लगता है, तब पाला पडऩे की पूरी संभावना होती है। हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाए तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाए ेतो पाला पडऩे की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर में पाला पडऩे की संभावना रहती है। ऐसे समय में फसल के बचाव का जरूरी उपाय नहीं करने पर नुकसान हो सकता है। इन नुकसान से फसल को बचाने कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल किसानों को जानकारी दे रहे हैं। बताया कि सामान्यत: तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाए, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यदि इसी बीच हवा चलना रुक जाए और आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

पाला से पौधों को नुकसान
पाले से प्रभावित पौधों की कोशिकाओं में मौजूद पानी सबसे पहले अंतरकोशिकीय स्थान पर इक_ा हो जाता है। इस तरह कोशिकाओं में निर्जलीकरण की अवस्था बन जाती है। दूसरी ओर अंतरकोशिकीय स्थान में एकत्र जल जमकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिससे इसके आयतन बढऩे से आसपास की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है। यह दबाव अधिक होने पर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इस प्रकार कोमल टहनियां पाले से नष्ट हो जाती हैं।

तापमान हो कम तब करें सिंचाई
कृषि वैज्ञानिक डॉ. केके देशमुख एवं डॉ. निखिल सिंह ने शीत लहर एवं पाला से फसल की सुरक्षा के उपाय बताते कहा कि खेतों की सिंचाई जरूरी है, जब भी पाला पडऩे की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पाले से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5-2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती हैं।

नर्सरी में होता है अधिक नुकसान
पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकऩे की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढक़ते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

खेत के पास करें धुंआ व जरूरी उपचार
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए किसान अपने खेत में धुंआ करेंं। जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है। जिस दिन पाला पडऩे की सम्भवना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिडक़ाव करना चाहिए। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिडकें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिडक़ाव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें। सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यूडीजी पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेढ़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू एवं जामुन आदि लगा दिए जाएं तो पाले और ठण्डी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है।

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