कम्पनी की बैठक में जुटे कर्मचारी, हुआ हंगामा
हाल ही के दिनों में घंसौर विकासखण्ड में एक प्राइवेट कम्पनी की बैठक में काफी संख्या में आदिवासी विकास विभाग के छात्रावास अधीक्षक, प्राचार्य व शिक्षक एकत्रित हुए थे। कम्पनी की बैठक के बाद इन कर्मचारियों ने राज्य कर्मचारी संघ का चुनाव करते हुए अध्यक्ष भी तय कर लिया। जबकि इसके लिए विधिवत ब्लॉक संयोजक की उपस्थिति होना था। गठन किए जाने की खबर जब राज्य कर्मचारी संघ को चली तो संघ के संयोजक और अन्य सदस्यों ने विरोध जाहिर किया। कहा कि प्राइवेट कम्पनी की बैठक में संघ की ब्लॉक इकाई का गठन सरासर अनुचित है। संयोजक ने तत्काल चुनाव निरस्त करने की घोषणा की और हिदायत दी कि अपने प्राइवेट कार्यों को संगठन से अलग ही रखा जाए तो बेहतर है।
राज्य कर्मचारी संघ घंसौर का चुनाव निरस्त
मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ घंसौर का चुनाव निरस्त कर दिए जाने की जानकारी ब्लॉक संयोजक मनीष मिश्रा ने दी। कहा कि जिला संयोजक ने विगत दिनों चुनाव के लिए ब्लॉक संयोजक की जिम्मेदारी दी थी। जिन्हें सभी विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को साथ लेकर संघ का गठन किया जाना था, परंतु कूट रचित तरीके से आरसीएम की बैठक आयोजित कर संघ से संबंध नहीं रखने वाले लोगों ने बिना संयोजक की सहमति के गठन कर लिया। जिसमें अन्य विभागों को भी दरकिनार किया गया। गठन में नियमों व निर्देशों की अवहेलना की गई है, क्योंकि गठन की अधिसूचना संयोजक द्वारा जारी नहीं की गई थी।
दबाव डालकर बेचते हैं सामान
बताया गया कि आदिवासी विकास विभाग के पूर्व सहायक आयुक्त अमरसिंह उइके के कार्यकाल में काफी तादाद में आदिवासी अंचल के छात्रावास अधीक्षक, स्कूल प्राचार्य और शिक्षक प्राइवेट कम्पनी से जुड़े थे और साबुन, क्रीम, सेम्पू आदि घरेलू उपयोग का सामान खरीदने के लिए कहा जाता था। अधिकारी की बात को कर्मचारी न चाहकर भी मानने को विवश होते थे। उइके के जाने के बाद भी यह सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। अब भी काफी संख्या में कर्मचारी प्राइवेट कम्पनी के उत्पाद बेचकर फायदा ले रहे हैं।
शिक्षा विभाग की कार्रवाई अधर में
शिक्षा विभाग के कई शिक्षक पढ़ाई की ओर कम, प्राइवेट कम्पनी के उत्पाद बेचने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसकी शिकायतें और प्रमाण बीते चार साल से जिला शिक्षा अधिकारी को कई बार दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई अब तक शून्य है। सिवनी विकासखंड के मेहरापिपरिया के एक शिक्षक की सप्रमाण शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को एक साल पहले दी गई थी, लेकिन अब तक कार्रवाई शून्य है। जानकारी लेने पर बताया गया कि प्रकरण की फाइल कार्रवाई के लिए संयुक्त संचालक जबलपुर को भेजी गई है। लेकिन वहां से अब तक कार्रवाई किए जाने की सूचना अप्राप्त है।