10-15 हजार खर्चा, 50 हजार मुनाफा
कृषक उत्पादक संगठन के सदस्य प्रदीप सिंह ने बताया कि कालमेघ की खेती कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली है। खेती ऐसी जमीन पर की जा सकती है, जहां पानी की कमी है और अन्य फसल का उत्पादन नहीं होता। लगभग एक एकड़ में दो से ढाई टन उत्पादन होता है। किसानों से नित्या नेचुरल डिबेट सोशल फाउंडेशन 25 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदी करेगा। ऐसे में एक एकड़ में कालमेघ की खेती से किसानों को लगभग 60-65 हजार रुपए मिलेंगे। जुताई, निदाई और कटाई में 10-15 हजार खर्च होंगे। किसानों को लगभग 50 हजार का मुनाफा होगा।
नि:शुल्क बांटेंगे बीज, 100 किसान चिह्नित
सोहागपुर ब्लॉक के लमरा, पचड़ी, मझगवां सहित आसपास के लगभग 100 किसानों को चिह्नित किया गया है। इस वर्ष प्रति किसान आधा एकड़ में खेती करेंगे। कृषक उत्पादक संगठन नि:शुल्क बीज व तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराएगा। आधा एकड़ में करीब पांच किलो बीज लगेगा। प्रयास सफल रहा तो आगामी वर्ष में रकबा बढ़ाया जाएगा। ये भी पढ़ें: अब हर घर का होगा ‘डिजिटल एड्रेस’, सभी को मिलेगा पर्सनल ‘क्यूआर कोड’ जड़ से लेकर पत्ती तक उपयोगी
कालमेघ का उपयोग आयुर्वेद दवा में किया जाता है। इसके अर्क से बुखार की दवा बनाई जाती है। कालमेघ की जड़ से लेकर पत्ती तक उपयोगी है। इसके फूल से बीज तैयार होते हैं। जड़, तना और पत्ती का अर्क निकाला जाता है। इसकी खेती जून में शुरू होगी और चारमाह में तैयार हो जाएगी।