2019 मके स्थापित हुआ था मदरसा
यह मदरसा गुजरात के वडोदरा निवासी सैयद सिराजुद्दीन हाशमी द्वारा वर्ष 2019 में स्थापित किया गया था। यह एक आवासीय बालिका मदरसा है, जहां करीब 300 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही थीं। जांच में सामने आया कि मदरसे को किसी भी स्तर से मान्यता प्राप्त नहीं थी। इतना ही नहीं, सैयद ने मदरसे के पास दो बीघा भूमि भी खरीदकर निर्माण कार्य शुरू कराया था। प्रशासन की पूर्व जांच में भी मदरसे से संचालन से संबंधित आवश्यक अभिलेख नहीं मिले थे, जिसके बाद तीन मई को डीएम के आदेश पर मदरसा सील कर दिया गया था। शनिवार को छांगुर केस में सैयद के नाम सामने आने के बाद पुनः एडीएम, एसडीएम ओम प्रकाश, सीओ भिनगा सतीश शर्मा, नायब तहसीलदार, एसओजी प्रभारी और थाना प्रभारी की संयुक्त टीम ने छापा मारकर अभिलेखों को जब्त किया।
पता चला है कि सैयद सिराजुद्दीन हाशमी की ससुराल बलरामपुर के उतरौला में है और उसी दौरान उसका संपर्क छांगुर से हुआ। दोनों के मध्य क्या संबंध रहे, इसकी जांच की जा रही है। जांच में हाशमी के तीन बैंक खातों का भी पता चला है, जिनमें से एक स्थानीय और दो गुजरात के हैं। खातों की जांच बैंक और ट्रेजरी अधिकारियों से कराई जाएगी।
जिलाधिकारीने दी जानकारी कैसे आया धन
डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि जब्त किए गए अभिलेख उर्दू भाषा में हैं, जिनका अनुवाद कराया जाएगा। साथ ही यह भी जांच की जाएगी कि मदरसा निर्माण के लिए धन कहां से आया, यहां पढ़ रही छात्राएं किस-किस स्थान से लाई गईं और वर्तमान में कहां हैं। इसके अतिरिक्त सैयद की अन्य गतिविधियों की भी गहराई से जांच की जाएगी। प्रशासन अब छांगुर और सैयद के बीच के कनेक्शन को उजागर करने की दिशा में तेजी से कार्रवाई कर रहा है। मदरसे के संचालन, फंडिंग और छात्राओं की गतिविधियों की हर पहलू से जांच की जा रही है।