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नेक्सा एवरग्रीन मनी लॉन्ड्रिंग: 2700 करोड़ की ठगी, 70 हजार लोगों को लगाया चूना; जानें कौन है मास्टरमाइंड?

Rajasthan News: सीकर के दो सगे भाइयों ने नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के जरिए 2700 करोड़ रुपये की ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा जाल बुना कि 70 हजार लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठे।

सीकरJun 14, 2025 / 01:19 pm

Nirmal Pareek

Nexa Evergreen Money Laundering

नेक्सा एवरग्रीन के मास्टरमांइड (फाइल फोटो)

Nexa Evergreen Money Laundering Case: सीकर के दो सगे भाइयों ने नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के जरिए 2700 करोड़ रुपये की ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग का ऐसा जाल बुना कि 70 हजार लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा बैठे। इस सनसनीखेज मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12 जून 2025 को राजस्थान, गुजरात और दिल्ली के 24 ठिकानों पर छापेमारी की।
राजस्थान में सीकर, झुंझुनूं, जयपुर और जोधपुर में ईडी की टीमें सक्रिय हुईं। इस कार्रवाई ने एक बार फिर इस फ्रॉड को सुर्खियों में ला दिया। आखिर कैसे दो भाइयों ने इतने बड़े पैमाने पर ठगी को अंजाम दिया? मास्टरमाइंड कौन हैं और पीड़ितों को उनका पैसा वापस मिलने की कितनी उम्मीद है?

मनी लॉन्ड्रिंग का मास्टरमाइंड कौन?

इस घोटाले के मास्टरमाइंड हैं सीकर के पनलावा गांव के सुभाष बिजारणियां और उनके भाई रणवीर बिजारणियां। सुभाष पहले सेना में थे, रिटायरमेंट के बाद धोलेरा (अहमदाबाद) में रियल एस्टेट में उतरे। उन्होंने रणवीर के साथ मिलकर 17 अप्रैल 2021 को नेक्सा एवरग्रीन कंपनी शुरू की।
कंपनी ने धोलेरा में 1300 बीघा जमीन होने का दावा किया और इसे भारत की पहली ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा बताया। निवेशकों को प्लॉट, फ्लैट और पूंजी निवेश पर मोटा मुनाफा देने का लालच दिया गया।
कंपनी ने एजेंटों के नेटवर्क के जरिए लगभग 70 हजार लोगों से 2700 करोड़ रुपये जमा किए। इन एजेंटों को मोटा कमीशन दिया गया, जिससे ठगी का जाल और मजबूत हुआ। लेकिन 2023 की शुरुआत में कंपनी अचानक बंद हो गई, और मास्टरमाइंड फरार हो गए। इस घोटाले में पूर्व सैनिकों से लेकर पुलिसकर्मियों तक ने अपनी जमा-पूंजी गंवाई।

धोलेरा को क्यों बनाया निशाना?

बताते चलें कि धोलेरा, अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा है। यह भारत की पहली ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित हो रहा है, जिसमें 920 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 22 गांव शामिल हैं। केंद्र और गुजरात सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, हाई-टेक सड़कें, एआई-आधारित सुविधाएं, इंडस्ट्रियल हब और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है। 2042 तक पूरा होने वाला यह प्रोजेक्ट 20 लाख लोगों को बसाने की योजना के साथ चल रहा है।
आरोपियों ने धोलेरा की इस चमक-दमक का फायदा उठाया। उन्होंने नेक्सा एवरग्रीन को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा बताकर लोगों को झांसे में लिया। चूंकि यह सरकारी प्रोजेक्ट था, लोग आसानी से भरोसा कर बैठे। कंपनी ने दावा किया कि उनकी 1300 बीघा जमीन बेशकीमती है और निवेशकों को मोटा रिटर्न मिलेगा।

यहां देखें वीडियो-


ठगी का जाल कैसे बुना गया?

इसके बाद सुभाष और रणवीर ने 2014 में धोलेरा में जमीन खरीदना शुरू किया। सुभाष ने रिटायरमेंट के 30 लाख रुपये से 10 बीघा जमीन खरीदी, जबकि रणवीर ने स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर राजल जांगिड़ के साथ मिलकर स्मार्ट सिटी की संभावनाओं को भुनाने की योजना बनाई। दोनों भाइयों ने पहले एक चेन सिस्टम कंपनी में 50 लाख रुपये गंवाए, जिसके बाद उन्होंने नेक्सा एवरग्रीन शुरू की।
कंपनी ने पोंजी स्कीम की तर्ज पर काम किया। निवेशकों को 15 सौ करोड़ रुपये कमीशन के रूप में बांटे गए, जिससे और लोग निवेश के लिए ललचाए। धोलेरा में 8 लाख रुपये प्रति बीघा की दर से 1300 बीघा जमीन खरीदी गई। लेकिन 2023 में कंपनी बंद कर दी गई और ठगी का पैसा 27 छोटी-छोटी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।

ठगी के पैसे का क्या हुआ?

ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि ठगी के पैसों से बिजारणिया बंधुओं ने गोवा में 25 रिसॉर्ट्स, राजसमंद में ग्रेनाइट और मार्बल की माइंस, जयपुर में होटल, और अहमदाबाद में फ्लैट्स व लग्जरी गाड़ियां खरीदीं। उनके पास 250 करोड़ रुपये नकद और 15 करोड़ रुपये बैंक खातों में थे। जोधपुर में अकेले 80 करोड़ रुपये की ठगी सामने आई, जहां एजेंटों ने फर्जी रजिस्ट्री बनाकर लोगों को ठगा।

पीड़ितों की अब भी उम्मीद

बता दें, 12 जून 2025 की छापेमारी में ईडी ने कई दस्तावेज और सबूत जुटाए। जोधपुर के करवड़ थाने में दर्ज मामले में तीन एजेंट मेघसिंह, शक्ति सिंह और सुरेंद्र सिंह जेल में हैं। लेकिन मुख्य आरोपी सुभाष और रणवीर अभी फरार हैं। पीड़ितों ने जोधपुर, जयपुर, सीकर और झुंझुनूं में मुकदमे दर्ज कराए, लेकिन अब तक उनका पैसा वापस नहीं मिला।
ईडी की सक्रियता से पीड़ितों में उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आरोपियों की संपत्तियां जब्त हो सकीं, तो कुछ हद तक पैसा वापस मिल सकता है। बता दे, नेक्सा एवरग्रीन घोटाला भारत के सबसे बड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक है, जिसमें स्मार्ट सिटी के सपने दिखाकर हजारों लोगों की जमा-पूंजी लूट ली गई।

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