राजस्थान के सिरोही जिले के रेवदर ब्लॉक में पीथापुरा (एम.) एक ऐसा गांव है, जिसमें लगभग शतप्रतिशत ग्रामीण पशुपालक है। ग्रामीण हर घर में दुधारू गाय-भैंस पालते हैं। पशु-पालन व्यवसाय से जुड़े ग्रामीण-काश्तकार न सिर्फ गाय-भैंस के दूध, दही व घी का सेवन करते हैं, बल्कि यह उनकी आजीविका का जरिया भी है। दूध व घी बेचने से उनको आर्थिक सम्बल मिल रहा है। गांव में उत्पादित दूध डेयरियों के मार्फत गुजरात तक जाता है।
पशुपालकों के पास भैंस, शंकर और देशी नस्ल की गायें हैं, जिनसे दूध का अच्छा उत्पादन होता है। यह दूध डेयरियों के माध्यम से गुजरात तक जाता है। पशुपालकों की अच्छी कमाई होने से आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है। अधिकतर पशुपालकों के घर आधुनिक सुविधाओं से सम्पन्न है। शायद ही ऐसा कोई घर होगा, जिसमें दोपहिया या चार पहिया वाहन नहीं होगा। पशुपालकों के बच्चे भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पशुपालन ने उन्हें स्वावलम्बी बनाने के साथ आर्थिक दृष्टि से भी खासा सम्पन्न बनाया है।
डेयरियों में पहुंच रहा 15 हजार लीटर दूध
पूर्व सरपंच नानजी राम देवासी ने बताया कि गांव में करीब 8 हजार से अधिक दुधारू मवेशी है। जिनसे करीब 15 से 20 बीस हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। यह सारा दूध अलग-अलग डेयरियों में जा रहा है। मवेशियों को पौष्टिक आहार, हरा चारा व मूंगफली की पत्तियां खिलाते हैं, ताकि दूध की मात्रा लगातार बढ़ती रहे। गुजरात के कई पशु चिकित्सक मंडार क्षेत्र में पशुओं का उपचार कर कमाई कर रहे हैं।
पशुपालकों का संकर गाय के प्रति रुझान
संकर नस्ल की गाय अधिक दूध देती है और इसके दूध में फैट कम होता है। इसलिए मंडार क्षेत्र में संकर नस्ल की गायों के प्रति रुझान अधिक है। इसके अलावा देशी गायें भी खूब पालते हैं।
सर्वाधिक दुधारू भैंस
पशुधन सहायक ब्रह्मलाल ने बताया कि पिथापुरा में छह हजार भैंस, तीन हजार संकर गाय, एक हजार से अधिक देशी गाय व 1500 भेड़-बकरियां हैं। प्रतिदिन दोनों समय का मिलाकर 15 से 20 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। पंचायत के मोरवड़ा तथा निमतलाई से भी दूध आता है। जिले में सर्वाधिक दुधारू भैंस पीथापुरा में हैं।
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प्रतिमाह 90 हजार की आय
हमारे कुएं पर तीन दर्जन से अधिक देशी गाय-भैंस हैं। जिसमें सात भैंस तथा दो गाय दूध देती हैं। जिनका दूध-घी बेचने से हर माह करीब 90 हजार रुपए की आय हो जाती है। पशुपालकों को दूध डेयरी में भेजने पर ज्यादा फायदा होता है।
लीलू देवी चौधरी, महिला पशु पालक, पीथापुरा
दूध भेजा जा रहा है गुजरात
गांव में करीब 8-10 हजार दुधारू मवेशी होने से करीब 15 से 20 बीस हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। दूध संकलन के लिए गांव में 7 डेयरी है। अधिकांश पशुपालक इन दूध डेयरियों पर ही दूध बेचते हैं। कुछ ग्रामीण मावे के भट्टे पर भी दूध बेचते हैं। यहां से दूध गुजरात की डेयरियों में पहुंचता है।