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सिरोही

माउंट आबू के जंगल में भड़का भीषण दावानल, वनसंपदा व वन्यजीवों को नुकसान

वन्य क्षेत्र का बड़ा भू-भाग आया आग की चपेट में, दो दिन से आग बुझाने में जुटा वन महकमा माउंट आबू @ पत्रिका. पर्यटन स्थल माउंट आबू में गर्मी की दस्तक के साथ ही नव क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में आग भडकऩी शुरू हो गई है। माउंट आबू-आबूरोड मार्ग के छीपाबेरी चौकी के नीचे बरमाणिया महादेव […]

सिरोहीMar 31, 2025 / 08:18 pm

MAHENDRA SINGH VAGHELA

माउंट आबू. दुर्गम पहाड़ियों के वन्यक्षेत्र में रात के समय वनसंपदा को लीलता दावानल।

माउंट आबू. दुर्गम पहाड़ियों के वन्यक्षेत्र में रात के समय वनसंपदा को लीलता दावानल।

वन्य क्षेत्र का बड़ा भू-भाग आया आग की चपेट में, दो दिन से आग बुझाने में जुटा वन महकमा

माउंट आबू @ पत्रिका. पर्यटन स्थल माउंट आबू में गर्मी की दस्तक के साथ ही नव क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में आग भडकऩी शुरू हो गई है। माउंट आबू-आबूरोड मार्ग के छीपाबेरी चौकी के नीचे बरमाणिया महादेव वन्य क्षेत्र की पहाड़ियों में शनिवार को लगी आग रविवार को भी सुलगती रही। आग से वन संपदा को काफी नुकसान हुआ है। आग की सूचना पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी व श्रमिकों के लवाजमे ने लंबी जद्दोजहद के उपरान्त देर रात तक आग पर काबू पाकर वापस लौट ही रहे थे कि तेज हवा से फिर से आग फैल गई। जंगल में पतझड़ से गिरे पत्तों, सूखी घास व बांस के पेड़ों से आग ने विकराल रूप धर लिया। आग से वनसपंदा के साथ ही जमीन पर चलने व रेंगने वाले वन्यजीव भी प्रभावित हुए हैं। आग रविवार सवेरे तक टाटिया मगरा होते हुए गंभीरी नाला की ओर वन के बड़े भू-भाग में फैल गई।

आग बुझाने में जुटा वन महकमा

उपवन संरक्षक शुभम जैन के नेतृत्व में क्षेत्रीय वन अधिकारी गजेंद्र सिंह देवड़ा, भरत सिंह देवड़ा, वनपाल राजेश विश्नोई, नैनाराम, नाथूराम, शेर सिंह आदि वन विभाग कर्मचारियों, नगर पालिका आपदा प्रबंधन दस्ता, दमकल से लेकर करीब पांच दर्जन श्रमिक, फायर वॉचर आग पर काबू पाने में जुटे रहे। आग इतनी भयावह है कि वन्य क्षेत्र में वन संपदा को अपनी चपेट में लेते दावानल से उठने वाले धुएं से क्षेत्र में गहरी धुंध के गुबार ने वनों को अपने आगोश में ले लिया है। कलक्टर अल्पा चौधरी ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। उपखंड अधिकारी डॉ. अंशु प्रिया निरंतर घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।

दावानल वन विभाग के लिए बना चुनौती

वन क्षेत्र में भड़का दावानल दुर्गम पहाड़ों, बीहड़ जंगलों के मध्य होने से सामान्य तौर पर किसी आम व्यक्ति का पहुंचना भारी श्रमसाध्य है। इसके बावजूद भी वन महकमे की ओर से युद्ध स्तर पर आग पर काबू पाने की कवायद की जा रही है। बड़े पैमाने पर पेड़ों से गिरे हुए पत्ते, सूखी घास व बांस के पेड़ आग को भडक़ाने में घी का काम कर रहे हैं। जो वन विभाग के लिए भारी चुनौती बना हुआ है।

आग लगने के प्रमुख कारण

जानकारों की मानें तो वन्य क्षेत्र में राहगीरों की ओर से जलती बीड़ी, सिगरेट व चिलम फूंक कर जंगल में फेंकने, मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकालने को लकड़ियां जलाकर धुआं करने, अवैध रूप से कोयला बनाने, चोरी डकैती जैसी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद वनों में छिपने के दौरान खाना पकाने को चूल्हा जलाना, अंधश्रद्धा के तहत मन्नत पूरी होने पर आदिवासियों की ओर से जगंल में जान बूझकर आग लगाने, बांस आपस में टकराने, अवैध शराब की भट्टी लगाने, वन्यजीवों का शिकार करने को उन्हें फंदे की तरफ खदेडकऱ फंदों में फंसाने को आग लगाने आदि प्रमुख कारण बताए जाते हैं।

10 साल में 314 बार लगी आग, 2017 में विनाशकारी दावानल

जानकारों की मानें तो साल-दर-साल बढ़ते अग्रिकांडों से जंगल को अपूरणीय क्षति हो रही है। 2015 से अब तक वन क्षेत्र में करीब 314 बार लगी आग से वन्यजीवों से भरा यह जंगल कई जगह से खाक हो चुका है। 2017 में आग का रूप भयंकर विनाशकारी रहा था, जिसने जंगल को खाक कर दिया था। जिसने बड़ी सया में वन्यजीवों, वनौषधि, वनसंपदा को लील लिया था। भीषण आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना ने करीब पखवाड़े तक निरंतर हेलीकाप्टर के माध्यम से नक्की झील से पानी भरकर आग को बुझाने की कड़ी मशक्कत की थी।

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