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सिरोही

शुगर के मरीजों के लिए चमत्कारी है बरसात का यह फल, राजस्थान की वादियों में है इसके पेड़ों की बहुतायत

Benefits & Uses Of Jamun: डायबिटीज को भगाने के लिए रामबाण की तरह कार्य करने वाला जामुन का फल करीब सौ रुपए से पांच सौ रुपये किलो तक बिक जाता है।

सिरोहीJun 28, 2025 / 01:27 pm

Akshita Deora

जामुन का पेड़ और बारिश (फोटो: पत्रिका)

Jamun Keeps Diabetes Under Control: प्रकृति ने मनुष्य को निरोगी बनाने के लिए वनस्पति के रूप में अथाह खजाना दिया है। बशर्ते उसको उचित समय पर सही रूप में उपयोग में लाया जाए। देश के हर भाग में सहज पाए जाने वाले जामुन मधुमेह से बचाव में कारगर होते हैं। जिसका विपुल भंडार राजस्थान के माउंट आबू की वादियों में उपलब्ध हैं। माउंट आबू के शहर के बीचोंबीच, ग्रामीण व वन्य क्षेत्रों में भारी संख्या में जामुन के पेड़ों की मौजूदगी है। गर्मी के दिनों में मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रेल महीने में जामुन के पेड़ पर बोर आते हैं, जो धीरे-धीरे विकसित होकर जून व जुलाई महीने में अपना फल देकर मानव को कई व्याधियों से मुक्ति दिलाने में वरदान सिद्ध होते हैं। विशेषकर डायबिटीज के मरीजों के लिए जामुन का फल संजीवनी बूटी की तरह कार्य करता है।

कुओं, बावड़ियों में डालते थे जामुन की लकड़ी

प्राचीन काल में लोग कुओं व बावड़ियों में जल शुद्धीकरण को लेकर जामुन की लकड़ियों को कुएं में डालते थे। जिससे पानी खराब नहीं होता है। उसकी तासीर स्वास्थ्य के लिए बेहतर मानी जाती थी। इससे मानव कई प्रकार की व्याधियों से मुक्त रहता था, लेकिन आधुनिकता की आंधी के चलते धीरे-धीरे कुओं, बावड़ियों का स्थान नलों ने ले लिया। जिससे लोगों को जामुन की लकड़ी वाला आयुर्वेदिक मिश्रण जल पीने से वंचित होना पड़ा। वर्तमान में बढ़ती व्याधियों का सामना करने के लिए कुओं बावड़ियों की उपेक्षा मानव को महंगी पड़ रही है।

इनका कहना

मधुमेह व्याधि को नियंत्रण में रखने के लिए जामुन का फल बहुत फायदेमंद होता है। जामुन की गुठली (बीज) का पाउडर बनाकर भी सेवन किया जा सकता है। मधुमेह, कब्ज, शरीर के विषाक्त पदार्थों से भी मुक्ति के लिए जामुन का फल रामबाण की तरह कार्य करता है।
राम प्रकाश सोनी, आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञ, हिमाचल प्रदेश

पांच सौ रुपए किलो तक बिकता है जामुन

डायबिटीज को भगाने के लिए रामबाण की तरह कार्य करने वाला जामुन का फल करीब सौ रुपए से पांच सौ रुपये किलो तक बिक जाता है। दो जून की रोटी का जुगाड़ बिठाने को लेकर मजदूरी करने वाले लोग अक्सर टोकरियों में जामुन के फलों को भरकर बाजार तक पहुंचाते हैं। जहां दस, बीस रुपए की कीमत वाली जामुन के फलों की छोटी छोटी पुडिया बनाकर पर्यटकों को विक्रय करते हैं। जिसका पर्यटक बड़े चाव से सेवन करते हैं।

बेसब्री से प्रतीक्षा रहती जामुन पकने की

माउंट आबू के चारों ओर बहुतायत में पाए जाने वाले जामुन के पेड़ों से प्राप्त होने वाले फलों की लोगों को बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है। अक्सर गर्मी के दिनों में मिलने वाले जामुन माउंट आबू की जलवायु व भौगोलिक स्थिति को देखते हुए बरसात के दिनों में भी मिल जाते हैं। माउंट आबू के तलहटी वाले क्षेत्रों में जामुन मई महीने से पकने आरंभ हो जाते हैं जबकि माउंट आबू की पहाड़ियों में जामुन के फल जून महीने में पकने आरंभ होते हैं।
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माउंट से बाहर भी जाते हैं यहां के जामुन

आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग माउंट आबू के विभिन्न स्थानों पर मौजूद बड़े-बड़े जामुन के पेड़ों पर लगने वाले फलों को उतार कर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को बेचते हैं। वहीं कई लोग जामनु को राजस्थान से बाहर गुजरात, मध्यप्रदेश में भी विक्रय करने को भेजते हैं। जिससे कुछ दिनों तक निचले तबके के लोगों की अच्छी तरह से गुजर बसर हो जाती है।

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