इन दवाओं को पहले डायबिटीज़ के इलाज के लिए बनाया गया था, लेकिन अब इन्हें मोटापे के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हें GLP-1 RA कहा जाता है, जो शरीर में शुगर का स्तर कम करने, पाचन की प्रक्रिया धीमी करने और भूख कम करने में मदद करती हैं।
कनाडा में टोरंटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि जो बुज़ुर्ग डायबिटिक मरीज छह महीने या उससे ज्यादा समय तक GLP-1 RA दवाएं लेते हैं, उनमें आंखों की बीमारी नववेस्कुलर AMD होने का खतरा उन मरीजों के मुकाबले दोगुना है जो ये दवाएं नहीं लेते।
इस अध्ययन में 10 लाख से अधिक डायबिटिक मरीजों का मेडिकल डेटा देखा गया। इनमें से 46,334 मरीज औसतन 66 साल के थे और GLP-1 RA दवाएं ले रहे थे, जिनमें से लगभग 97.5% मरीज Ozempic (सेमाग्लूटाइड) ले रहे थे और कुछ मरीज Lixisenatide ले रहे थे।
इन मरीजों की तुलना समान उम्र, लिंग और स्वास्थ्य स्थितियों वाले अन्य डायबिटिक मरीजों से की गई जो ये दवाएं नहीं ले रहे थे। तीन साल के आंकड़ों से पता चला कि जो मरीज छह महीने से ज्यादा समय तक इन दवाओं पर थे, उन्हें मैक्युलर डिजनरेशन का खतरा दोगुना, और 30 महीने या ज्यादा समय तक दवा लेने वाले मरीजों को यह खतरा तीन गुना था।
विशेष रूप से, बुज़ुर्ग और स्ट्रोक झेल चुके मरीजों में यह खतरा और अधिक देखा गया। अध्ययन से जुड़े डॉ. मार्को पोपोविक ने कहा, “ये दवाएं आंखों पर कई तरह से असर डालती हैं और मैक्युलर डिजनरेशन के मामले में इनका असर नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए इन्हें बुजुर्ग या स्ट्रोक से पीड़ित डायबिटिक मरीजों को देने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।”
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के डॉ. ब्रायन वेंडरबीक ने एक संपादकीय में लिखा कि यह खतरा बहुत से मरीजों को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा, “हर 1,000 मरीजों में से 1 को यह बीमारी हो सकती है। अगर लाखों लोग ये दवाएं ले रहे हैं, तो प्रभावित मरीजों की संख्या बड़ी हो सकती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह खतरा केवल डायबिटिक मरीजों के लिए है या वजन घटाने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करने वालों के लिए भी। दवा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क, जो Ozempic और Wegovy बनाती है, ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और उनकी दवाओं के इस्तेमाल से जुड़ी हर जानकारी पर वे गंभीरता से ध्यान देते हैं। कंपनी ने कहा कि अब तक किए गए उनके परीक्षणों में मैक्युलर डिजनरेशन का कोई सीधा संबंध इन दवाओं से नहीं मिला है।
ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी की चीफ सेफ्टी ऑफिसर डॉ. एलिसन केव ने कहा कि अभी तक मैक्युलर डिजनरेशन को इन दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट के तौर पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है, लेकिन नई रिसर्च को ध्यान में रखते हुए इन दवाओं की सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल, इन दवाओं से मिलने वाले फायदे इनके जोखिम से अधिक हैं।