वर्ष 2014 से लेकर 2023 तक नौ साल तक चांडक परिवार का नगर परिषद की राजनीति में दबदबा रहा है। चांडक के भाई अजय चांडक वर्ष 2014 से 2019 तक पांच साल तक नगर परिषद सभापति रहे। इसके बाद चांडक की पत्नी करुणा चांडक वर्ष 2019 से 2023 तक चार साल तक सभापति के पद पर काबिज रही। चांडक ने खुद वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन वे निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार गौड़ से चुनाव हार गए। दुबारा वर्ष 2023 में खुद की बजाय पत्नी करुणा चांडक को चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा। 55 हजार वोट भी मिले लेकिन जयदीप बिहाणी यह चुनाव जीत गए।
कई प्रदेश में चांडक का कारोबार
चांडक परिवार धनाढय परिवार है। कई जगह शराब ठेके, ईंट भटटे, आढत की दुकानें, होटल व्यवसाय, खनन के अलावा कई कॉलोनियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सेदारी है। इलाके में दो बार विधानसभा और नगर परिषद के चुनावों में यह परिवार राजनीति का धूरी बना रहा है, ऐसे में राजनीतिक और कारोबार से जुडे लोगों से ज्यादा प्रभाव रहा है। चांडक के राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश में कारोबार है। दो साल पहले इस परिवार के ठिकानों पर इनकम टैक्स की टीमों ने सर्च भी किया था।
फायरिंग होते ही चांडक था अलर्ट
करीब 13 दिन पहले सत्रह जून को बसंती चौक के पास सुखाडि़यानगर निवासी कॉलोनाइजर आशीष गुप्ता पर फायरिंग हुई तब यह अंदेशा हो गया था कि गैंगस्टर का अगला निशाना कारोबारी हो सकता है। चांडक ने खुद ने यह बात सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया था कि उसे भी कुछ लोगों की धमकी आई थी। इस घटना पर चांडक और उसका परिवार अलर्ट हो गया। लेकिन गैँगस्टरों की गैंग ने चांडक को धमकी देकर तीस कराेड़ रुपए की रंगदारी रकम मांग कर धमकाया है। इस फायरिंग के बाद गैँगस्टर रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल कर साफ साफ बताया कि यह घटना उसकी गैंग की है। जबकि दूसरे गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई ने इस हमले की खुद जिम्मेदारी ली थी। इस पर पुलिस ने जांच करने की बात कहकर अब तक यह पहलू साफ नहीं किया है कि यह किस गैँग की ओर से फायरिंग की घटना हुई थी।