परिजनों ने बताया कि ब्लॉक में प्राइवेट हॉस्पिटल में 22 जून को सजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी हुई थी। इस दौरान बच्ची का जन्म हुआ। चार दिन पहले इस नवजात बच्ची के ऑक्सीजन जैसी समस्या आई तब वहां से इस हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुनील अग्रवाल के पास भेज दिया। इस चिकित्सक ने चेकअप के बाद नवजात शिशु को नर्सरी में ऑक्सीन पर रखने की सलाह दी और भर्ती कर लिया। रविवार शाम को बच्चा बदलने का खुलासा होने पर जब परिजन हॉस्पिटल पहुंचे तब यह चिकित्सक यहां नहीं मिले। सालासर धोक लगाने की बात कही गई। तब वहां चिकित्सक के भाई अनिल अग्रवाल ने वार्ता करने का बात कही, चिकित्सक को बुलाने की जिद़्द पर एक अन्य चिकित्सक को भेजा गया। इसके बाद आईएमए जिलाध्यक्ष डा. हरीश रहेजा भी आ गए।
स्टाफ ने टैग पढ़ने में की चूक
हॉस्पिटल संचालक डा. सुनील अग्रवाल ने फोन पर पत्रिका को बताया कि स्टाफ की वजह से यह बडी चूक हुई है। नर्सिग स्टाफ ने शिशु नर्सरी में संबंधित शिशु पर लगे टैग को पढ़ नहीं पाया और गलफत होने के कारण लड़की की जगह लड़का सुपुर्द कर दिया। यह चूक मानवीय भूल है। इस संबंध में परिजनों से वार्ता कर सुलह कराई जा रही है। इस बीच, आईएमए के जिलाध्यक्ष डा. हरीश रहेजा इस हॉस्पिटल में पहुंचे और नर्सरी में भर्ती संबंधित बच्ची के बारे में जानकारी ली। इस दौरान हॉस्पिटल स्टाफ से भी फीडबैक लिया और परिजनों से भी वार्ता की। डा. रहेजा ने इस गलती को भारी चूक बताया। उन्हेांने परिजनों से संबंधित शिशु के बारे भी जानकारी ली।
परिजन बोले, तो उम्रभर रहता राज
इधर, परिजनों का कहना है कि यदि एक ही लिंग यानि अन्य की लड़की उन्हें सुपुर्द की जाती तो यह गलफत या चूक उम्रभर राज ही रह जाता। हॉस्पिटल में बेहतर सुविधा के दावे पर महंगा उपचार होने के बावजूद वे अपने नवजात बच्ची को यहां लेकर आए थे लेकिन यहां तो बच्चा तक बदल डाला। इस मामले में सीएमएचओ डा. अजय सिंगला को अवगत कराया गया है। सरकार की योजनाएं भी इस हॉस्पिटल में संचालित हो रही है, इस पर एक्शन होगा यह उम्मीद है।