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Father’s Day Special: राजस्थान के एक गरीब कुम्हार पिता की अनकही कहानी, जिसने बनाया 3 बेटों को शिक्षक, प्रधानाचार्य और DEO

Father’s Day Special: यह कहानी है कजोड़मल कुम्हार की, जिन्होंने अभावों में रहते हुए भी अपने तीन बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई और उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचाया, जहां वे आज स्वयं सैकड़ों बच्चों के भविष्य को रोशन कर रहे हैं।

टोंकJun 15, 2025 / 01:16 pm

Santosh Trivedi

kajormal kumhar
Father’s Day Special: राजस्थान के टोंक जिले के पीपलू उपखंड क्षेत्र के नाथड़ी ग्राम पंचायत के सिसोला गांव में एक असाधारण कहानी ने आकार लिया है, जो आज फादर्स डे के अवसर पर पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। यह कहानी है कजोड़मल कुम्हार की, जिनकी जीवन यात्रा केवल खेती-किसानी और मिट्टी के बर्तन गढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और शिक्षा की अनवरत लौ जलाने की गाथा है। कजोड़मल ने अभावों में रहते हुए भी अपने तीन बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई और उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचाया, जहां वे आज स्वयं सैकड़ों बच्चों के भविष्य को रोशन कर रहे हैं।

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मिट्टी को गढ़ने से लेकर जीवन को संवारने तक का सफर

जिस तरह एक कुम्हार कच्ची मिट्टी को चाक पर घुमाकर, उसे सांचे में ढालकर और फिर आग की भट्टी में तपाकर एक उपयोगी और मजबूत बर्तन बनाता है, ठीक उसी तरह कजोड़मल कुम्हार ने जीवन की तमाम कठिनाइयों, अभावों और सामाजिक चुनौतियों को झेलते हुए अपने तीन बेटों को ज्ञान, अनुशासन और संस्कारों की आंच में तपाकर एक योग्य और सफल नागरिक बनाया। पीपलू के सरकारी विद्यालयों से शिक्षा प्राप्त कर आज ये बेटे जिस मुकाम पर हैं, वह कजोड़मल के अटूट विश्वास और अथक परिश्रम का ही प्रतिफल है।

संयुक्त परिवार के संरक्षक, शिक्षा के सजग प्रहरी

kajormal kumhar
कजोड़मल कुम्हार
कजोड़मल कुम्हार पांच भाइयों में सबसे बड़े हैं। शिक्षा के प्रति उनकी सोच प्रारंभ से ही स्पष्ट रही है। उन्होंने न केवल अपने बच्चों, बल्कि छोटे भाई लक्ष्मीनारायण को भी शिक्षक बनाकर प्रेरित किया, जो बाद में प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए। कजोड़मल ने संयुक्त परिवार के मूल्यों को सहेजा और घर में ऐसा वातावरण बनाया, जहां हर बच्चा शिक्षा को प्राथमिकता दे। उनका मानना था कि गरीबी तोड़ सकती है लेकिन शिक्षा जोड़ सकती है।

तीन बेटे, तीनों शिक्षा के आंगन में

कजोड़मल के तीन बेटों ने पिता के सपनों को साकार किया है और आज वे प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। इन तीनों की शिक्षण यात्रा का प्रमुख केंद्र पीपलू रहा है। सरकारी विद्यालय में शिक्षण प्राप्त कर वह आज अच्छे मुकाम पर है। ये सभी अब अपने-अपने विद्यालयों में भी शिक्षा की अलख जगा रहे हैं और सैकड़ों बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं।

भंवरलाल कुम्हार (जिला शिक्षा अधिकारी)

भंवरलाल कुम्हार (जिला शिक्षा अधिकारी)
भंवरलाल कुम्हार (जिला शिक्षा अधिकारी)
सबसे बड़े पुत्र भंवरलाल ने 1991 में व्याख्याता (कृषि) के रूप में अपनी सेवाएं शुरू कीं। अपनी कर्तव्यनिष्ठा और लगन से वे शीघ्र ही प्रधानाचार्य के पद पर पहुंचे और वर्तमान में जिला शिक्षा अधिकारी जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर पदोन्नत हुए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है। वे आज हजारों शिक्षकों और लाखों विद्यार्थियों के प्रेरणास्रोत हैं।

किशनलाल कुम्हार (प्रधानाचार्य)

किशनलाल कुम्हार (प्रधानाचार्य)
किशनलाल कुम्हार (प्रधानाचार्य)
मंझले पुत्र किशनलाल कुम्हार ने भी अपने पिता की सीख व बड़े भ्राता से प्रेरणा लेते हुए शिक्षा के क्षेत्र को चुना। उन्होंने वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता तक का सफर तय किया और वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ढूंढिया में प्रधानाचार्य के पद पर कुशलतापूर्वक सेवाएं दे रहे हैं। शिक्षा के प्रति उनके समर्पण के लिए उन्हें अजमेर मंडल और ब्लॉक स्तर पर विभागीय सम्मान तथा जिला प्रशासन द्वारा जिला स्तर पर भी विभूषित किया जा चुका है।

मोरपाल कुम्हार (वरिष्ठ अध्यापक)

सबसे छोटे पुत्र मोरपाल कुम्हार भी अपने बड़े भाइयों के नक्शेकदम पर चलते हुए शिक्षा के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। वे अहमदपुरा चौकी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक (संस्कृत) के रूप में सेवाएं दे रहे हैं और भारतीय संस्कृति व संस्कारों की अलख जगा रहे हैं।

पोते-पोतियों में भी वही लौ

कजोड़मल कुम्हार की प्रेरणा केवल उनके बेटों तक सीमित नहीं रही। उनकी शिक्षा की लौ पोते-पोतियों तक भी पहुंची, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें विकास प्रजापति राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, विनोद कनिष्ठ वैज्ञानिक (फॉरेंसिक), ज्योत्सना टेक्सटाइल इंजीनियर, विजयी श्री फिजियोथैरेपिस्ट डॉक्टर, विद्या शिक्षिका है। परिवार के अन्य भाइयों के बालकों को भी पढ़ाकर सरकारी नौकरी दिलवाने में अथक प्रयास किया।

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