उदयपुर। सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके साथ ही महिलाओं के लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाए। सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मी लगाए जाए। बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाने चाहिए। यह बात पत्रिका रक्षा कवच : अपराधों के विरुद्ध महिला सुरक्षा अभियान के तहत शहर की महिलाओं ने कही।
डॉ. जूही प्रधानने कहा कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और समान को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए मीडिया, स्कूलों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से अभियान चलाए जाना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए। हेल्पलाइन नंबर (जैसे 1091) को अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है।
निडर होकर बात रखनी चाहिए
प्रतिमा अग्रवाल ने कहा कि बालिकाओं को शिक्षा के साथ ही आत्मरक्षा के गुर भी सिखाने चाहिए। शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाना जरूरी है। इससे वे कई समस्याओं से निपटने में सक्षम होंगी। महिलाओं को निडर होकर बात रखनी चाहिए। सरकार को सार्वजनिक स्थानों पर विशेष सुरक्षा के प्रबंध करने चाहिए।
वेरिफाइड ड्राइवरों की सुविधा उपलब्ध
डोली व्यासने कहा कि महिलाओं को हमेशा आत्मरक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। परिवार को भी चाहिए कि वे महिलाओं और किशोरियों की बात को अच्छे से सुने। सार्वजनिक परिवहन में सीसीटीवी, महिला गार्ड्स और महिला स्पेशल बसों/डिब्बों की संख्या बढ़ाई जाए। रात में सुरक्षित यात्रा के लिए कैब सेवाओं में वेरिफाइड ड्राइवरों की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
स्कूली स्तर से ही मजबूत बनाना चाहिए
डॉ. ऋचा धींग ने कहा कि महिलाओं को कानून की जानकारी होनी चाहिए। संकट के में वे अपनी रक्षा मनोवैज्ञानिक, शारीरिक रूप से कर सकेंगी। स्कूली स्तर से ही मजबूत बनाना चाहिए कि वे हर परिस्थिति में खुद को सुरक्षित रख सकें।
महिलाओं को सुरक्षा को लेकर छोटे-मोटे उपकरण
निशा जालान ने कहा कि महिलाओं और छात्राओं को सुरक्षा संबंधित नियम व सरकार की ओर से संचालित हेल्पलाइन सेंटर के साथ ही योजनाओं की जानकारी देनी चाहिए। महिलाओं को सुरक्षा को लेकर छोटे-मोटे उपकरण भी बैग में लेकर चलना चाहिए।
भारत के सुनहरे एवं विविधरूपी इतिहास से सीखा जा सकता है
डॉ. प्रियंका सिसोदिया ने कहा कि आज के समय में सामान्यत: भारतीय समाज में कॉमन सेंस की कमी देखी जा सकती है। इसका समाधान व्यावहारिक परिवर्तन ही हैं। जो किताबों, गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा और भारत के सुनहरे एवं विविधरूपी इतिहास से सीखा जा सकता है।