अमानत में खयानत का ख्याल
विशेषज्ञ बताते हैं कि बोर्ड से पेंशन फंड का प्रसारण निगम को हस्तांतरण नहीं हो पाना अमानत में खयानत का मामला है, जो दंडनीय अपराध है। ऐसे में 25 साल पहले भी रिटायर्ड कर्मचारी मुकदमा करना चाहते थे, लेकिन नहीं कर पाए। शिकायत नियामक आयोग में की गई तो पेंशन कोष अधूरा होना सामने आया।आदेश भी दरकिनार
कई बार शिकायतों पर नियामक आयोग ने भी इसे कानूनी बाध्यता बताया और आदेश दिया कि प्रति यूनिट बिजली बेचने का कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराया जाए। इस पर साल 2015 में प्रति यूनिट बिजली में से कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराना शुरू भी हुआ, लेकिन प्रक्रिया निरंतर नहीं रह पाई।बाकियात का बोझ
पिछले वर्षों में बिजली निगमों ने पेंशन फंड में थोड़ी-थोड़ी राशि ही डाली, जबकि पुरानी बाकियात को अनदेखा किया जाता रहा। ऐसे में बाकियात बढ़ती जा रही है और पेंशन कोष में घाटा बढ़ रहा है। नतीजा ये कि आगामी वर्षों में आरएसइबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल हो सकता है।ताकि भविष्य में पेंशन देने में कठिनाई नहीं हो
पेंशन कोष में राशि जमा कराना विद्युत निगमों की कानूनी बाध्यता है। हम लगातार नियामक आयोग और निगमों से बात कर रहे हैं। पुरानी बाकियात जमा कराने के साथ ही आगे भी निरंतरता बनाई रखी जाए, ताकि भविष्य में रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने में कठिनाई नहीं हो।इंजि. वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसई व ऊर्जा सलाहकार
ये है करोड़ों का हिसाब (राशि करोड़ों में)
प्रसारण निगम – 1- देनदारी – 7,1222- वर्तमान फंड – 4,895
3- उधारी – 2,227 जयपुर डिस्कॉम – 1- देनदारी – 8,055
2- वर्तमान फंड – 821
3- उधारी – 7,234
1- देनदारी – 6,852
2- वर्तमान फंड – 132
3- उधारी – 6,720 जोधपुर डिस्कॉम –
1- देनदारी – 5,795
2- वर्तमान फंड – 210
3- उधारी – 5,292.90 उत्पादन निगम –
1- देनदारी – 2,196
2- वर्तमान फंड – 641
3- उधारी – 1,555।