ग्रामीणों ने बताया कि अदवास गांव मे करीब सात सौ साल पूर्व गोकड़ा तालाब व सार्वजनिक बावडी का निर्माण करवाया गया। जिसके बाद लोग इस बावडी से ठंडा व मीठा जल कई सालों से उपयोग में ले रहे थे। वर्ष 1980 में जलदाय विभाग की ओर से भारिया नाले पर कुंई का निर्माण कर पूरे गांव में जलापूर्ती शुरू हो गई तो लोगों का सार्वजनिक बावडी से मोहभंग हो गया। दस साल बाद नाले पर बना कुआं समतल हो गया तो जलदाय विभाग ने गांव के पास कुंई का निर्माण कर सप्लाई शुरू की। किन्तु टंकी छोटी होने व आबादी बढ़ने से पूरे गांव में नियमित सप्लाई में परेशानी होने लगी। वर्ष 2002 में जयसमंद झील से मेवल क्षेत्र के 23 गांवों को जलापूर्ति करने के लिए 6 करोड़ खर्च कर स्वजलधारा योजना के तहत गांव की ऊंचाई पर टंकी बनी। लेकिन यह लाइन भी लीकेज होने व टंकी की ऊंचाई अधिक होने से जलापूर्ति समय पर नहीं हुई और फिर पूरे गांव में पेयजल की किल्लत होने लगी। इसके बाद जलदाय विभाग ने करोडों खर्च करके बनी योजना को छोड़कर वापस वर्ष 2023 में मोटरें व पंप गांव की सार्वजनिक बावडी में लगा दिए और जलापूर्ति शुरू की। जिससे अब ठंडे व मीठे पानी से भरी बावडी से अदवास गांव की पांच हजार की मुख्य आबादी सहित आसपास के रोडावत, मण्डावत, रांगोत व ढिमडी मोहल्ले में बनी जलदाय विभाग की टंकियों में इसी बावडी से जलापूर्ति की जा रही है। वर्ष 2002 में क्षेत्र में भयंकर अकाल के समय जहां क्षेत्र में सब जलाशय सूख गए। लोग पेयजल को लेकर परेशान थे, लेकिन उस समय यह बावड़ी जल से लबालब भरी थी।
लोग बोले- बावड़ी को प्लस्तर व साफ-सफाई की जरूरत
ग्रामीणों ने बताया कि जलदाय विभाग की ओर से विगत दो सालो से बावड़ी से जलापूर्ति की जा रही है। बावड़ी को प्लस्तर, साफ-सफाई की जरूरत है। लेकिन दो साल बाद भी स्थानीय ग्राम पंचायत व जलदाय विभाग की ओर से कोई भी प्रस्ताव नहीं बनाया गया और ना ही साफ-सफाई की गई। जिसके कारण बावडी के पानी के ऊपर कचरा पड़ा है।
अमृतम जलम अभियान से होती है सफाई
राजस्थान पत्रिका के अमृतम जलम अभियान के तहत युवाओं व विद्यार्थियों की भागीदारी से हर वर्ष बावड़ी की सफाई की जाती है। जिसमें गांव के सभी ग्रामीण भाग लेते है। साथ ही जैन समाज की ओर से भी चंदा एकत्र कर एक बार सफाई करवाई गई।
इनका कहना है…
बावड़ी की सफाई मरम्मत के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत की ओर से प्रस्ताव लिया जाएगा। -विजयपाल मीणा, ग्राम विकास अधिकारी, अदवास अदवास की बावड़ी को लेकर कनिष्ठ अभियंता को भेजकर रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। विभाग से प्रस्ताव बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। -इरम खान, सहायक अभियंता, जलदाय विभाग, जयसमंद