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उदयपुर

इतिहास की धड़कन बन युवा मन में गूंज रहा मेवाड़ का स्वर्णिम अतीत, अब तक 12 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने किया शोध

उदयपुर स्थित प्रताप शोध प्रतिष्ठान मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास को सहेज रहा है। यहां संरक्षित दस्तावेजों और ग्रंथों से देश-विदेश के 12 हजार से अधिक विद्यार्थी शोध कर चुके हैं। प्रतिष्ठान अब म्यूजियम और लाइब्रेरी भी बना रहा है।

उदयपुरJul 21, 2025 / 01:22 pm

Arvind Rao

History of Mewar

History of Mewar (Patrika Photo)

उदयपुर: महाराणा प्रताप, महाराणा कुंभा, राणा सांगा और बप्पा रावल जैसे वीरों के पराक्रम की कहानियां मेवाड़ के जर्रे-जर्रे में समाई हुई हैं। इससे मेवाड़ का गौरवशाली इतिहास सैकड़ों साल बाद भी देश ही नहीं, बल्कि विदेशी लोगों के लिए भी रोमांच और शोध का विषय है।

बता दें कि यहां संरक्षित ऐतिहासिक दस्तावेज, शिलालेख और साक्ष्य नई पीढ़ी को गौरवशाली अतीत से जोड़ने का काम कर रहे हैं। प्रताप शोध प्रतिष्ठान ने देश-विदेश के शोधकर्ताओं-विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण मंच दिया है। यहां यूरोप, अमेरिका, जापान और जर्मनी समेत दुनिया के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के छात्र अध्ययन कर चुके हैं। शोध प्रतिष्ठान से अब तक 12 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने मेवाड़ के इतिहास और अतीत पर शोध किया है।
History of Mewar


प्रताप का जीवन और युद्ध कौशल जानने की उत्सुकता


अधिकांश शोध महाराणा प्रताप के जीवन, उनके युद्ध कौशल और मेवाड़ के स्वर्णिम युग पर केंद्रित हैं। प्रताप पर शोध करने वाले युवाओं में प्रताप के जीवन और युद्ध कौशल जानने की उत्सुकता है। प्रतिष्ठान में उपलब्ध दुर्लभ सामग्री शोधार्थियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। दुर्लभ और ऐतिहासिक दस्तावेज न केवल युवाओं में इतिहास के प्रति जिज्ञासा बढ़ाते हैं, बल्कि देशभक्ति और स्वाभिमान की भावना भर रहे हैं।


स्वर्णिम इतिहास संजो रहा प्रताप शोध प्रतिष्ठान


विद्या प्रचारिणी सभा, भूपाल नोबल्स संस्थान ने 1967 में प्रताप शोध प्रतिष्ठान की स्थापना की थी। यहां महाराणा प्रताप से पहले के ऐतिहासिक दस्तावेज, 4 हजार बहियां, ताम्रपत्र, हस्तलिखित ग्रंथ, ऐतिहासिक पट्टे, नक्शे और दुर्लभ छायाचित्र संरक्षित हैं। प्रतिष्ठान के गौरीशंकर हीराचंद ओझा संग्रह में साढ़े तीन हजार से ज्यादा हस्तलिखित दस्तावेज, पुस्तकें और पंडित रविशंकर देराश्री संग्रह में साढ़े छह सौ दस्तावेज और डेढ़ हजार पुस्तकें उपलब्ध हैं।


भूपेंद्र सिंह राठौड़ ने क्या बताया


शोध प्रतिष्ठान के कार्यकारी निदेशक भूपेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि प्राथमिक स्रोत पर आधारित 68 पुस्तकों का प्रकाशन किया है। जननायक प्रताप, युगपुरुष महाराणा प्रताप, प्रताप द पेट्रियोट, चेतक, मेवाड़ रावल राणाजी री वात, मेवाड़ के ऐतिहासिक पट्टे परवाने, मेवाड़ रियासत और जन जातियां, पुरावतों का इतिहास, मेवाड़ के प्रमुख संत, बप्पा रावल, कुंभा, राजसिंह और सांगा प्रमुख है। मेवाड़ के तत्कालीन ठिकानों के दस्तावेज भी संग्रहित हैं।

प्रताप शोध प्रतिष्ठान में उपलब्ध दुर्लभ दस्तावेज और साक्ष्य युवा पीढ़ी को गौरव का अहसास कराते हैं। मेवाड़ के इतिहास पर बड़ी संख्या में युवा शोध में रुचि दिखा रहे हैं। भावी पीढ़ियों के लिए भी यह दस्तावेज प्रेरणास्त्रोत बने रहे, इसके लिए प्रताप म्यूजियम और लाइब्रेरी का भी निर्माण करा रहे हैं।
-मोहब्बत सिंह राठौड़, प्रबंध निदेशक, बीएन संस्थान

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