पत्रिका के वायरल ऑडियो ने जिस भ्रष्ट सिस्टम की पोल खोली थी, वह अब जांच में पुष्ट हो रही है। हालांकि जांच फिलहाल आरंभिक है। जैसे जैसे जांच बढ़ेगी भ्रष्टाचार की कईं परतें खलने की संभावना है।
सभी का हिस्सा तय था
हितग्राहियों से वसूली की यह भ्रष्ट व्यवस्था लंबे समय से चल रही थी। ऑडियो में जिन 15 हजार की हिस्सेदारी की बात थी, वह दरअसल 25 हजार तक पहुंची थी। जांच में खुलासा हुआ है, प्रत्येक हितग्राही से 25 हजार रुपए की उगाही की जा रही थी, जिसमें से 10 हजार पंचायत स्तर पर और 15 हजार जनपद कार्यालय तक पहुंचने की चर्चा थी। यही नहीं, इस राशि का बाकायदा हिस्सा तय था। इसको लेकर ऑडियो में बाबू और मंत्री की बात हो रही है। हालांकि इस ऑडियो के सामने आने के बाद तराना जनपद कार्यालय में हड़कंप मचा था। वहां मौजूद कर्मचारियों में आपस में बहस और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बन गई। कई कर्मचारियों ने खुद को बचाते हुए कहा कि वे तो उच्च अधिकारियों के कहने पर हितग्राहियों से राशि ले रहे थे, असली फंड ऊपर तक जाता था। हालांकि इस मामले में तराना जनपद सीईओ डॉली श्रीवास्तव ने चुप्पी साध रखी है।
ईओडब्ल्यू में भी शिकायत
तराना जनपद में हुए भ्रष्टाचार का यह मामला पहला नहीं है। इसके पहले भी ग्रामीण क्षेत्र के कुछ लोगों ने सम्बधित अधिकारियों और कर्मचारियों की शिकायत आर्थिक अन्वेक्षण ब्यूरो में की है। हाल ही में तराना जनपद को इओडब्ल्यू ने नोटिस दिया है। वहीं पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए अब सामाजिक संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस प्रकरण की एसआइटी या ईओडब्ल्यू से स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है, गरीबों के लिए चलाई जा रही योजना में अगर इस तरह वसूली हो रही है, तो यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं बल्कि जन-विश्वास की हत्या है।
जांच करवा रहे हैं
तराना जनपद कार्यालय को नोटिस जारी कर आरंभिक जांच करवाई गई। इसमें आंशिक तौर पर अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। सक्षम अधिकारी से आगे की जांच करवा रहे हैं, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।- जयतिसिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, उज्जैन