बचपन में सुनाई गई नागिन की कहानियां, फिल्मों में बदले की पटकथाएं और लोककथाएं सांपों को एक काल्पनिक राक्षस की तरह पेश करती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि सांप प्राकृतिक जैविक संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं। वे खेतों में चूहों और अन्य कीटों की संख्या नियंत्रित करते हैं, जिससे फसलें बचती हैं। घरों के आसपास भी ये साइलेंट सेवियर माने जाते हैं।
आम भ्रांतियां बनाम वैज्ञानिक सच्चाई
भ्रांति: सभी सांप ज़हरीले होते हैं सच्चाई: 90% से अधिक सांप विषहीन होते हैं भ्रांति: सांप बदला(Snake revenge) लेते हैं सच्चाई: उनकी स्मृति क्षमता बहुत सीमित होती है भ्रांति: नागिन प्रेम कथा सच्चाई: पूरी तरह काल्पनिक, कोई वैज्ञानिक आधार नहीं।
उज्जैन में विषैले और मित्र सांप दोनों
जिले में कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर जैसी चार प्रमुख विषैली प्रजातियां पाई जाती हैं, जबकि धामन, कैट स्नेक, वुल्फ स्नेक जैसे गैर-विषैले सांप भी बड़ी संख्या में हैं। अफसोस कि जानकारी के अभाव में कई बार निर्दोष मित्र सर्प भी मारे जाते हैं।
अंधविश्वास और इलाज की कमी से होती है मौत
भारत में हर साल 50,000 से अधिक मौतें सर्पदंश से होती हैं, यह संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अधिकतर मौतें समय पर इलाज न मिलने, झोलाछाप इलाज और अंधविश्वासों के कारण होती हैं। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य है कि 2030 तक सर्पदंश से मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाई जाए। सांप डसे तो क्या करें और क्या न करें?
- क्या करें: शांत रहें, अंग को स्थिर रखें, अस्पताल ले जाएं
- क्या न करें: झाड़-फूंक, चीरा, खून चूसना या देसी इलाज से बचें
पहला स्नैक एजुकेशन सेंटर उज्जैन में
यह केंद्र न सिर्फ सांपों के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू समझाता है, बल्कि विज्ञान, माइथोलॉजी और कंज़र्वेशन को जोड़ता है। संस्थान प्रमुख डॉ. मुकेश इंगले बताते हैं कि सांप को समझना शिव को समझने जितना ही आवश्यक है।
‘रील्स’ में रोमांच नहीं, लापरवाही है
आजकल सांप पकड़ने की रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर ‘फेम’ बटोरने की होड़ चल पड़ी है। यह न केवल ख़तरनाक है बल्कि वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन भी है। ज़रूरत है रोमांच नहीं, जिम्मेदारी दिखाने की।