उत्तर प्रदेश के उन्नाव में देवपुरम राजाजीपुरम लखनऊ निवासी उषा तिवारी मिट्टी तेल डालकर जिंदा जला दी गई थी। जिसकी लखनऊ के बलरामपुर हॉस्पिटल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी । यह घटना 12 दिसंबर 2010 को हुई थी। मृतका के पिता रविंद्र नाथ द्विवेदी ने 18 दिसंबर 2010 को थाना में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी बेटी की शादी 22 साल पहले हसनगंज थाना क्षेत्र के मोहान में श्रवण कुमार तिवारी के साथ हुई थी। जिनके संतान ना होने के कारण ससुराल वाले प्रताड़ित करते थे। नंद सरला उनके पति पप्पू द्विवेदी, आशा और उनके पति विद्या नाथ तिवारी, पति श्रवण कुमार सहित अन्य पर उन्होंने आरोप लगाया था। जिसमें अदालत में नंद और नंदोई को दोषी माना।
संगत धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा
हसनगंज थाना में आईपीसी की धारा 498 (ए)/ 306 / 302 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें 26 दिसंबर 2010 को नामजद आरोपी पप्पू द्विवेदी पुत्र चक्रपाणि द्विवेदी निवासी कटरा कस्बा मोहान हसनगंज के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। विवेचना के दौरान पप्पू द्विवेदी की पत्नी सरला द्विवेदी के खिलाफ भी साक्ष्य से मिले। हसनगंज थाना पुलिस ने बताया कि 22 फरवरी 2011 को सरला द्विवेदी की गिरफ्तारी हुई। इस संबंध में 7 फरवरी 2011 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया
मामला एडीजे फर्स्ट की अदालत में सुना गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पप्पू द्विवेदी और सरल द्विवेदी को दोषी माना। दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। अभियोजन विभाग की तरफ से एडीजीसी अजय कुमार, विवेचना अधिकारी उप निरीक्षक अंजनी कुमार तिवारी, पैरोकार कांस्टेबल सुरेश कुमार, कोर्ट मोहर्रिर महिला कांस्टेबल अर्चना तिवारी का विशेष योगदान रहा।