वह मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों को वॉट्सऐप पर मैसेज भेजकर खुद को गजवा-ए-हिंद और हदीस के लिए लड़ने वाला सिपाही बताता था। हैदराबाद में एक मजलिस में वह पाकिस्तानी उलेमाओं और मौलानाओं से मिला। तभी से उसके तार पाकिस्तान से जुड़ गए। तुफैल एक साल पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद से जुड़े लोगों से भी मिल चुका है।
मजलिसों में लोगों को भड़काने लगा तुफैल
जांच में सामने आया है कि तुफैल ने मजलिसों में जाना पांच साल पहले शुरू किया था। पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक के नेता मौलाना शाद रिजवी की तकरीर सुनने के बाद तुफैल ने खुद को उनका अनुयायी मान लिया। रिजवी के यूट्यूब चैनल को तुफैल फॉलो करता था और उसके वीडियो वॉट्सऐप ग्रुपों में शेयर करता था। ATS के अफसरों से तुफैल ने कहा- ये तो पहलगाम हमला हो गया, वरना बकरीद पाकिस्तान में मनाने वाला था। ATS को तुफैल के घर से डायरियां, किताबें और भारतीय-विदेशी अखबारों की कटिंग मिली हैं।
600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों के संपर्क में था तुफैल
तुफैल वाराणसी के थाना जैतपुरा स्थित दोशीपुरा का रहने वाला है। उसके पिता का नाम मकसूद आलम है। बताया जा रहा है कि तुफैल पाकिस्तान द्वारा संचालित सोशल मीडिया ग्रुप में जुड़ा हुआ था. इस ग्रुप में 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबर थे। यहां तुफैल अक्सर भारत के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों जैसे राजघाट, नमोघाट, ज्ञानवापी, रेलवे स्टेशन, जामा मस्जिद, लाल किला, निजामुद्दीन औलिया की फोटो और जानकारियां भेजता रहता था। इस ग्रुप का लिंक इसने वाराणसी में भी कई लोगों को भेजा था। नफीसा को भेजता था हर जगह की तस्वीर
तुफैल कहीं भी जाता तो वह नफीसा को उस जगह की तस्वीर जरुर भेजता। दोनों घंटों वाट्सएप पर घंटों चैट करते। वह जहां भी होता नफीसा को उस लोकेशन और मूवमेंट की खबर जरूर देता। अब तक की जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पहलगाम हमले के बाद तुफैल ने कौन-कौन सी खुफिया जानकारियां पाकिस्तान को भेजीं, क्योंकि उन तारीखों की कई चैट्स मोबाइल से डिलीट मिली हैं। ATS उन्हें रिकवर करने में लगी है।