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45 साल बाद मंद पड़ी धधक रहे ‘नरक के द्वार’ की आग, 1971 में वैज्ञानिकों की गलती से ऐसे हुई थी शुरू

1971 में ये वैज्ञानिक भूमिगत गैस के लिए खुदाई कर रहे थे। ड्रिलिंग के दौरान यह गड्ढा ढह गया और इसमें जहरीली गैंसों का रिसाव शुरू हो गया। वहां मौजूद वैज्ञानिकों ने इन गैसों को बाहर आने से रोकने के लिए इसमें आग लगा दी, जो अब तक धधक रही है।

भारतJun 07, 2025 / 07:15 am

Siddharth Rai

Turkmenistan has become the world’s largest emitter of methane due to this gas leak. (Photo – CAROLYN DRAKE/Instagram)

तुर्कमेनिस्तान में 45 साल से सुलग रहे प्राकृतिक गड्ढे की आग धीमी पड़ गई है। गुरुवार को सरकार ने ऐलान किया कि अब इस पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। इस कभी न बुझने वाली आग ने एक शांत और रेगिस्तानी इलाके को पर्यटकों की पसंद बना दिया। नर्क का द्वार नाम से पूरी दुनिया में चर्चित यह गड्ढ़ा दरअसल सोवियत इंजीनियरों की एक गलती का नतीजा है।
1971 में ये वैज्ञानिक भूमिगत गैस के लिए खुदाई कर रहे थे। ड्रिलिंग के दौरान यह गड्ढा ढह गया और इसमें जहरीली गैंसों का रिसाव शुरू हो गया। वहां मौजूद वैज्ञानिकों ने इन गैसों को बाहर आने से रोकने के लिए इसमें आग लगा दी, जो अब तक धधक रही है। लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इन गैसों में के प्रवाह में कमी आने के कारण के्रटर की लपटें धीमी पड़ गई हैं। तुर्कमेनिस्तान की ऊर्जा कंपनी तुर्कमेनाज की निदेशक इरीना लुरीवा ने बताया कि आग की लपटें तीन गुना तक मंद पड़ गई हैं। जो लपटें पहले मीलों दूर से दिखाई देती थी, अब करीब से ही नजर आती हैं।

मीथेन का सबसे बड़ा गैस उत्सर्जक बना देश

दुनिया में गैस भंडार का चौथा सबसे बड़ा घर तुर्कमेनिस्तान इस गैस रिसाव के चलते दुनिया का सबसे बड़ा मीथेन का उत्सर्जक देश बन गया। हालांकि तुर्कमेनिस्तान इस दावे का खंडन करता है। मीथेन को जलवायु परिवर्तन और ओजोन परत में क्षरण का बड़ा कारण माना जाता है। इसे संग्रहीत कर ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने के लिए क्रेटर के चारों और कई कुएं भी खोदे गए हैं। हालांकि यह परियोजना सफल नहीं रही।
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30 मीटर गहरा और 70 मीटर व्यास

यह के्रटर तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से 260 किलोमीटर दूर काराकुम रेगिस्तान के मध्य स्थित है। क्रेटर का व्यास 60-70 मीटर है, जबकि इसकी गहराई 30 मीटर बताई जाती है। इसमें दुर्गंध आती रहती है, लेकिन इसके बावजूद यहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी इस प्राकृतिक अजूबे को देखने आते हैं। 2019 में यहां के नेता गुरबांगुली बर्दीमुखमेदोव ने क्रेटर के चारों और कार रैली निकालकर यह संदेश दिया कि वह ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाने चाहते हैं, जिन्होंने नरक का द्वार बंद कर दिया।

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