भविष्य में फंगस से बनी और दवाओं के लिए खुल सकते हैं रास्ते
पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंस की एक रिसर्च के अनुसार वैज्ञानिकों ने एक ऐसी यौगिक की खोज की है जो कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है। यह यौगिक एफडीए द्वारा स्वीकृत दवाओं के बराबर प्रभावी है और इससे भविष्य में फंगस से बनी और दवाओं की खोज के नए रास्ते खुल सकते हैं।
आने वाले समय में किया जा सकता है इंसानों पर परीक्षण
इस खोज के बाद अगला कदम एस्पेरिजिमाइसिन का परीक्षण पशु मॉडलों में करना है। इससे यह उम्मीद जागेगी कि आने वाले समय में इसका परीक्षण इंसानों पर भी किया जा सकेगा।
प्रकृति से मिलने वाली और दवाओं की खोज बाकी
पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में केमिकल और बायोमॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग (सीबाई) की प्रोफेसर और नेचर केमिकल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च की मुख्य लेखिका शेरी गाओ ने कहा कि फंगस ने ही पेनिसिलिन दी। रिसर्च के नतीजे दिखाते हैं कि प्रकृति से मिलने वाली और भी कई दवाओं की खोज बाकी है। यह थेरेपी एक प्रकार के पेप्टाइड्स की है, जिन्हें राइबोसोमली बनाया जाता है और बाद में संशोधित किया जाता है। इन्हें रिप्स कहते हैं, जिसका उच्चारण ‘रिप’ जैसा है। इस यौगिक का नाम इसकी उत्पत्ति से आता है। राइबोसोम, एक छोटी कोशिकीय संरचना जो प्रोटीन बनाती है और इसे बाद में इसके कैंसर-नाशक गुणों को बढ़ाने के लिए संशोधित किया जाता है।
नहीं होता साइड इफेक्ट
खास बात यह है कि इन यौगिकों का स्तन, यकृत या फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं पर या विभिन्न बैक्टीरिया और कवक पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इससे पता चलता है कि एस्पेरिजिमाइसिन का हानिकारक प्रभाव केवल कुछ खास प्रकार की कोशिकाओं पर होता है, जो भविष्य की किसी दवा के लिए एक महत्वपूर्ण विशेषता है।