फॉल्कन 9 की तकनीक
फॉल्कन 9 एक दो-चरण वाला रॉकेट है, जिसे स्पेसएक्स ने डिज़ाइन किया है। इसका पहला चरण नौ मर्लिन इंजनों से संचालित होता है, जो रॉकेट-ग्रेड केरोसिन (RP-1) और लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) से 17 लाख पाउंड्स का थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं। यह ताकत इसे भारी पेलोड, जैसे क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान, को पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) तक ले जाने में सक्षम बनाती है। दूसरा चरण एक मर्लिन वैक्यूम इंजन से लैस है, जो पेलोड को सटीक कक्षा में पहुंचाता है।
रीयूजेबल है फॉल्कन
फॉल्कन 9 की सबसे बड़ी विशेषता इसकी पुन: उपयोगिता है। इसका पहला चरण (बूस्टर) लॉन्च के बाद वापस पृथ्वी पर उतर सकता है, जिसे दोबारा उपयोग के लिए तैयार किया जाता है। कुछ बूस्टर 20 से अधिक बार उड़ान भर चुके हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्रा की लागत और पर्यावरणीय प्रभाव दोनों कम हुए हैं। यह तकनीक स्पेसएक्स को अन्य पारंपरिक रॉकेट्स की तुलना में किफायती बनाती है।
सेफ्टी में आगे
फॉल्कन 9 ने 500 से अधिक मिशनों में 99.6% की सफलता दर हासिल की है। इसमें 16 मानव अंतरिक्ष उड़ानें शामिल हैं, जिनमें कोई दुर्घटना नहीं हुई। इसकी सुरक्षा विशेषताएं, जैसे क्रू ड्रैगन के सुपरड्रैको इंजन, आपात स्थिति में चालक दल को सुरक्षित रूप से रॉकेट से अलग कर सकती हैं। हाल ही में Axiom-4 मिशन से पहले लिक्विड ऑक्सीजन लीक की समस्या का तुरंत समाधान किया गया, जिससे इसकी विश्वसनीयता और मजबूत हुई। Axiom-4 मिशन में यह क्रू ड्रैगन यान को ISS तक ले जाएगा, जहां चालक दल 14 दिनों तक मानव स्वास्थ्य, माइक्रोबायोलॉजी और माइक्रोग्रैविटी पर शोध करेगा।
Axiom-4 मिशन
25 जून 2025 को होने वाले Axiom-4 मिशन में फॉल्कन 9 भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को ISS तक ले जाएगा। यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर भेजेगा, जो 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग और STEM आउटरीच गतिविधियां करेंगे। मिशन की कमांडर पेगी व्हिटसन, अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री, इस उड़ान को नेतृत्व देंगी।