करोड़ों रुपए खर्च कर के भी अवैध प्रवासियों को हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें डाल कर भूखा प्यासा क्यों भेज रहा है अमेरिका ?
Donald Trump immigration policy: अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या और उनके लिए संसाधनों की जरूरतें बढ़ने के कारण उन्हें हिरासत में रखने और सीमा पर कड़ी सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं।
Donald Trump immigration policy: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन (Donald Trump Adminsitration) अपने पिछले कार्यकाल में अवैध प्रवासियों के लिए मोटी राशि खर्च करने का दावा किया था, लेकिन इस बार शपथ लेने के बाद उनके आदेश से पकड़े गए अवैध प्रवासियों (illegal immigrants) के साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया जा रहा है। उनके हाथों में हथकड़ियां और पैरों में जंजीरें बंधी हुई हैं। जुर्म केवल यही है कि ये गरीब पापी पेट के लिए घर से दूर अमेरिका पहुंच गए। ध्यान रहे कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका ने अवैध रूप से रह रहे 205 भारतीय प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए C-17 अमेरिकी सैन्य विमान का इस्तेमाल किया है अमेरिका ने अन्य देशों के प्रवासियों को भी निर्वासित करने के लिए चार्टर्ड प्लेन और सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया है।सैन्य विमानों के इस्तेमाल पर आने वाला खर्च काफी भारी है। जानकारी के अनुसार, C-17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की परिचालन लागत 28,500 डॉलर प्रति घंटा (लगभग 24.82 लाख रुपये) है और 12 घंटे तक चलने वाली एक उड़ान की अनुमानित लागत लगभग 252,000 डॉलर (लगभग 2.20 करोड़ रुपये) हो सकती है। अमेरिकी सीमा शुल्क और आव्रजन प्रवर्तन (ICE) के अनुसार, 135 निर्वासितों के लिए एक चार्टर्ड उड़ान की लागत 17,000 डॉलर प्रति उड़ान घंटे है, जो आमतौर पर 5 घंटे तक चलती है. इसका मतलब है कि प्रति व्यक्ति लागत 630 डॉलर (लगभग 52,000 रुपए है।
हाथों में हथकड़ियों और पैरों में जंजीरों के साथ अमेरिका से भारत पहुंचे भारतीय।
C-17 और C-130E विमानों की लागत
जानकारी के मुताबिक C-17 की परिचालन लागत 21,000 डॉलर प्रति घंटा (2022 के अनुसार) है, जबकि C-130E विमान की परिचालन लागत 68,000 डॉलर से 71,000 डॉलर प्रति घंटा के बीच है. इसका मतलब है कि एक 12 घंटे की C-17 उड़ान की लागत लगभग 252,000 डॉलर हो सकती है, जबकि C-130E की उड़ान की लागत 816,000 से 852,000 डॉलर हो सकती है। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में मैक्सिको सीमा पर दीवार ( Border security) बनाने के लिए बड़े पैमाने पर बजट आवंटित किया था। उनका दावा था कि यह दीवार अवैध प्रवास और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए आवश्यक है। वहीं सन 2019 तक, सीमा सुरक्षा के लिए लगभग 1,24,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिसमें दीवार की निर्माण लागत भी शामिल थी। पूरी सीमा पर दीवार बनाने के लिए अनुमानित खर्च तकरीबन 2,07,500 करोड़ रुपये से लगभग 2,49,000 करोड़ रुपये के बीच था।
हिरासत में रखे जाने वाले प्रवासियों की संख्या बढ़ी
वहीं, U.S. Customs and Border Protection (CBP) और Immigration and Customs Enforcement (ICE) को अतिरिक्त फंडिंग मिली थी। इन एजेंसियों के लिए कई वर्षों तक भारी बजट आवंटित किया गया, ताकि वे अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकें और सीमा पर सुरक्षा बढ़ा सकें। इसके अलावा, 2020 में सीमा सुरक्षा के लिए $22.1 बिलियन का बजट था, जिसमें CBP और ICE दोनों के लिए फंड शामिल थे। ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों को पकड़ने और उन्हें हिरासत में रखने के लिए Private Detention Centers का इस्तेमाल किया, जिसके लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर खर्च किया। इसके अंतर्गत, हिरासत केंद्रों के संचालन, उनके प्रबंधन, और नए हिरासत केंद्रों की स्थापना का खर्च शामिल था। इन केंद्रों के लिए $2.7 बिलियन से अधिक का खर्च आया था।
अवैध प्रवासियों के हाथ में हथकड़ियां लगाने की वजह
अमेरिका के नजरिये से देखें तो अवैध प्रवासियों के हाथ में हथकड़ियां लगाने के कई कारण हैं, जो अक्सर सुरक्षा, कानूनी प्रक्रियाओं और प्रवासन नीति से जुड़े होते हैं। अमेरिकी सीमा सुरक्षा और इमिग्रेशन अधिकारियों का मानना है कि अवैध प्रवासियों को हिरासत में लेने के दौरान हथकड़ियां लगाने से सुरक्षा सुनिश्चित होती है। खासकर जब प्रवासी गिरफ्तारी के दौरान प्रतिरोध कर सकते हैं या भागने की कोशिश कर सकते हैं, तो हथकड़ियां उनके नियंत्रण में रखने का एक तरीका है। उनका विचार है कि जब अवैध प्रवासी गिरफ्तार होते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है। कई बार, उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए हिरासत में रखा जाता है, और हथकड़ियां लगाना एक सामान्य प्रथा है ताकि वे अदालत में पेशी के दौरान नियंत्रित रहें। इसके अलावा, कुछ मामलों में, प्रवासियों को अवैध रूप से प्रवेश करने या जाने से रोका जाता है, और उन्हें हिरासत में रखा जाता है। यदि किसी व्यक्ति के भागने की संभावना हो, तो हथकड़ियां लगाने का निर्णय लिया जाता है ताकि वे सुरक्षित रूप से हिरासत में रहें और सिस्टम से बाहर न जा सकें। वहीं कभी-कभी प्रवासी नकली पहचान या झूठी जानकारी देने की कोशिश करते हैं। इसके चलते, उन्हें हथकड़ियों में रखा जाता है ताकि वे हिरासत से भागने या जानकारी छुपाने की कोशिश न करें।
ऐसे हथकड़ी लगाना अमानवीय
कुछ आलोचकों का मानना है कि यह एक सख्त प्रवासन नीति का हिस्सा है, जिसमें अवैध प्रवासियों को “सजा” देने के रूप में उन्हें हथकड़ी लगाई जाती है, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अवैध प्रवेश और देश की कानूनों का उल्लंघन अस्वीकार्य है। यह विचारधारा कुछ लोगों के लिए विवादास्पद हो सकती है, क्योंकि मानवाधिकार समूह इसका विरोध करते हैं।
अमेरिका में ब्राजील के अवैध प्रवासियों को भूखा-प्यासा रखना
अमेरिका में ब्राजील के अवैध प्रवासियों ने भोजन और पानी की कमी की शिकायतें की हैं। यह मुद्दा प्रवासन केंद्रों में अवैध प्रवासियों के साथ किए गए व्यवहार के संबंध में गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। जब ब्राजील और अन्य देशों के अवैध प्रवासी अमेरिकी सीमा पर पकड़े जाते हैं, तो उन्हें हिरासत में लिया जाता है, और इस दौरान उन्हें बुनियादी सुविधाओं – भोजन, पानी, और उचित स्वास्थ्य देखभाल – की सही व्यवस्था नहीं हो पाती।
अमेरिकी सैन्य विमान अवैध प्रवासियों को लेकर अमृतसर पहुंचा
अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीयों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार दोपहर बाद अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इससे पहले, विमान के सुबह उतरने की उम्मीद थी। अमेरिका के सैन्य विमान सी-17 में पंजाब और पड़ोसी राज्यों के अवैध अप्रवासी शामिल हैं। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रवासियों की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर काउंटर स्थापित किया है।
25 वर्ष से कम उम्र के 48 लोग शामिल
अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों के पहले बैच में 25 वर्ष से कम उम्र के 48 लोग मंगलवार को टेक्सास से उड़ान भरने वाली उड़ान में 11 चालक दल के सदस्य और 45 अमेरिकी अधिकारी भी थे जो निर्वासन प्रक्रिया की देखरेख कर रहे थे। इधर 104 अवैध भारतीय प्रवासियों के पहले बैच को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को पंजाब के अमृतसर पहुंचा, जिसमें सबसे ज्यादा 30-30 लोग हरियाणा और गुजरात से थे। कुल 30 निर्वासित पंजाब के निवासी थे। अमेरिकी सेना का सी-17 विमान कड़ी सुरक्षा के बीच श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा।
सूत्रों ने बताया कि निर्वासित लोगों में से 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से हैं। निर्वासित लोगों में 25 महिलाएं और 12 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें सबसे कम उम्र का यात्री सिर्फ चार साल का है। अड़तालीस लोग 25 वर्ष से कम उम्र के हैं। मंगलवार को टेक्सास से उड़ान भरने वाली उड़ान में 11 चालक दल के सदस्य और निर्वासन प्रक्रिया की देखरेख करने वाले 45 अमेरिकी अधिकारी भी थे।
पंजाब में अमेरिका के लिए असंतोष उपजा
पंजाब के अनिवासी भारतीय (NRI) मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने अमेरिकी सरकार के फैसले पर निराशा व्यक्त की और कहा कि इन लोगों को निर्वासित करने के बजाय स्थायी निवास प्रदान किया जाना चाहिए था जिन्होंने उस देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि कई भारतीय ‘वर्क परमिट’ पर अमेरिका में प्रवेश करते हैं और वह बाद जब इसकी अवधि समाप्त हो जाती है तो वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं। मंत्री ने कहा कि अमेरिका में रहने वाले पंजाबियों की चिंताओं और हितों पर चर्चा करने के लिए उनका अगले सप्ताह विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने की योजना है। धालीवाल ने पंजाबियों से अवैध तरीकों से विदेश यात्रा न करने की भी अपील की थी।
अमेरिका में कैसे अवैध एंट्री ले रहे हैं भारत के लोग
कई भारतीय नागरिक अमेरिका में घूमने, व्यापार या परिवार से मिलने के लिए विजिट वीजा (B-1/B-2 वीजा) प्राप्त करते हैं। जब वे वीज़ा की अवधि समाप्त हो जाती है, तो कुछ लोग अमेरिका में रहकर अवैध रूप से रहने की कोशिश करते हैं और वहां काम करने की कोशिश करते हैं। इसे “ओवरस्टे” कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति वीज़ा की वैधता समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में बने रहते हैं। कुछ लोग अमेरिका में आने के लिए हवाई यात्रा करते हैं, और यात्रा के समय सीमा शुल्क अधिकारियों को झूठी जानकारी देने का प्रयास करते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि वे अमेरिका में पहुंचने के बाद अपनी स्थिति को वैध बनाएं या फिर अपने अवैध प्रवास को छुपा सकें। कुछ भारतीय नागरिक, खासकर वे जो धार्मिक, जातीय, या राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करते हैं, अमेरिका में शरण (Asylum) के लिए आवेदन करते हैं। शरण देने की प्रक्रिया होती है, लेकिन कुछ लोग अपनी शरण आवेदन को असत्य बताते हुए या अन्य नियमों का उल्लंघन करते हुए इसे गलत तरीके से प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इसके बाद वे अमेरिका में अवैध रूप से रह सकते हैं।
डंकी रूट क्या है? इस रूट से प्रवासियों को ले जाने की एजेंट्स की भी मिलीभगत
मानव तस्करी (Human Trafficking): कुछ भारतीय नागरिकों को तस्कर अवैध रूप से अमेरिका भेजते हैं, जिन्हें डंकी कहा जाता है। ये तस्कर इन लोगों को अवैध रूप से देश में लाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे नकली दस्तावेज के माध्यम से यात्रा कराना या सीमाओं को पार करने के लिए रास्ते ढूंढना। अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर, कुछ भारतीय नागरिकों को तस्करों के माध्यम से अवैध रूप से सीमा पार करने के प्रयास में पकड़ा जाता है। इसके लिए अक्सर यात्रा के रास्ते में मध्य अमेरिकी देशों या मैक्सिको का उपयोग किया जाता है। ये लोग माफिया या तस्करी नेटवर्क का हिस्सा बनकर इन देशों के माध्यम से अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं। कुछ भारतीय नागरिक फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करते हुए अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं, जैसे जाली पासपोर्ट, वीज़ा या पहचान पत्र। इसके बाद, वे अवैध रूप से देश में रह कर काम करने या अन्य उद्देश्यों के लिए अपनी स्थिति को बनाए रखते हैं।