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Explainer: डोनाल्ड ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर लगाया युद्ध छेड़ने का आरोप, आख़िर किसकी वजह से शुरू हुई ये जंग ?

Russia-Ukraine War:रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 में रूस के आक्रमण से शुरू हुआ, जिसमें नाटो और यूक्रेन की सदस्यता को लेकर रूस की सुरक्षा चिंताएं मुख्य कारण थीं। ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया कि शांतिवार्ता में केवल अमेरिका और रूस शामिल होंगे, जिससे यूक्रेन के लिए चिंता उत्पन्न हुई है।

भारतFeb 19, 2025 / 12:54 pm

M I Zahir

Trump and zelensky
Russia-Ukraine War: अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ( donald Trump news) ने रूस-यूक्रेन युद्ध करने के लिए ज़ेलेंस्की पर आरोप (Trump blames Zelensky) लगाया है। रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण करने के साथ शुरू हुआ था। हालांकि, युद्ध के कारणों के बारे में कई दृष्टिकोण हैं। रूस ने इसे अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने और नाटो (NATO) का विस्तार रोकने के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि यूक्रेन और पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस का आक्रमण अंतरराष्ट्रीय कानून और यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन था। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के संबंध में रूस का आरोप था कि यूक्रेन (Russia-Ukraine news) की पश्चिमी नीतियां, विशेष रूप से नाटो में शामिल होने का प्रयास, रूस की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई थीं। इसके अलावा, रूस ने यह भी दावा किया था कि यूक्रेन में रूस समर्थक अलगाववादी क्षेत्रों को बचाने के लिए यह आक्रमण आवश्यक था।

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यूक्रेन की स्वतंत्रता और सार्वभौमिक मानवाधिकारों का उल्लंघन

यूक्रेन और पश्चिमी देशों का कहना था कि रूस का आक्रमण पूरी तरह से असंवैधानिक था और रूस की ओर से किया गया यह युद्ध यूक्रेन की स्वतंत्रता और सार्वभौमिक मानवाधिकारों का उल्लंघन था। इस युद्ध के बारे में ज़ेलेंस्की का नाम अक्सर जुड़ा है, क्योंकि वे यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं और युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। हालांकि, यह कहना कि ज़ेलेंस्की ने युद्ध शुरू किया, राजनीतिक दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा।

आख़िर शुरू क्यों हुआ था यह युद्ध ?

रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को रूस की ओर से यूक्रेन पर आक्रमण करने के साथ शुरू हुआ। रूस का तर्क था कि यूक्रेन का नाटो (NATO) के साथ करीबी संबंध और उसके संगठन में शामिल होने की इच्छा रूस की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर रही थी। इसके अलावा, रूस ने यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में रूस समर्थक अलगाववादी क्षेत्रों की रक्षा का भी हवाला दिया। दूसरी ओर, यूक्रेन और पश्चिमी देश इसे रूस का अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और यूक्रेन की संप्रभुता पर हमला मानते हैं। एक विचार यह है कि यूक्रेन ने अपनी स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए रूस के आक्रमण का विरोध किया, जिससे यह युद्ध एक बड़े वैश्विक संघर्ष में बदल गया।

यूक्रेन के नाटो में जाने की जिद या क्रीमिया पर रूसी नाराज़गी

यूक्रेन की नाटो (NATO) में शामिल होने की जिद और क्रीमिया पर रूस की नाराजगी, दोनों ही रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रमुख कारण बने। रूस ने सन 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से जबरन annex कर लिया था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। रूस ने यह दावा किया कि क्रीमिया में रह रहे रूस समर्थक लोगों की सुरक्षा के लिए यह कदम आवश्यक था, जबकि यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना। इसके बाद, यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की इच्छा ने रूस को और अधिक चिंतित किया, क्योंकि रूस इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता था। इस जिद ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवादों और गहरा किया, जो अंततः रूस के आक्रमण और युद्ध के रूप में सामने आए ।

यूक्रेन के नाटो में शामिल होने पर नाटो का क्या रुख़ था ?

यूक्रेन के नाटो में शामिल होने पर नाटो का मिश्रित रुख था, और यह मुद्दा बहुत संवेदनशील था। नाटो (North Atlantic Treaty Organization) ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का हमेशा समर्थन किया है, लेकिन यूक्रेन के नाटो सदस्यता के प्रयासों को लेकर नाटो के भीतर विभाजित दृष्टिकोण था। नाटो ने यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर समर्थन दिया, लेकिन रूस के विरोध और तनाव के कारण संगठन ने यूक्रेन को तुरंत नाटो में शामिल करने का फैसला नहीं किया। नाटो ने सन 2008 में, यूक्रेन और जॉर्जिया को सदस्यता देने की संभावना व्यक्त की थी, लेकिन रूस के विरोध के कारण उन्हें तत्काल सदस्यता नहीं दी गई। उसके बाद सन 2017 में, नाटो ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन यूक्रेन की सदस्यता प्रक्रिया एक लंबी और जटिल प्रक्रिया बन गई, जो रूस की ओर से किए गए सैन्य आक्रमण और तनाव के कारण और भी मुश्किल हो गई। यूक्रेन के नाटो सदस्यता के मुद्दे पर नाटो का रुख इस बात पर निर्भर करता था कि संगठन रूस के साथ सैन्य संघर्ष को टालने के लिए किस हद तक कदम उठाएगा, जबकि यूक्रेन की सुरक्षा की प्राथमिकता भी बनाए रखनी थी।

यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण के बाद नाटो का क्या बयान है ?

नाटो ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण के बाद स्पष्ट रूप से रूस की ओर से कार्रवाई करने की निंदा की और यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता देने का संकल्प लिया। नाटो के महासचिव ने कहा कि संगठन यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा समर्थन करता है और रूस को युद्ध विराम का दबाव बनाने के लिए सभी संभव कदम उठाएगा। नाटो ने यह भी बताया कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया लंबी और जटिल होगी, लेकिन संगठन ने यूक्रेन को भविष्य में नाटो के सदस्य बनने की संभावना के बारे में भी संकेत दिए। नाटो ने साथ ही अपने सदस्य देशों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तत्परता दिखाई और यूरोप में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई।

डोनाल्ड ट्रंप का ज़ेलेंस्की पर बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “यूक्रेन किसी दिन रूसी हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि वे यूक्रेन को दी गई सहायता के बदले दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की प्राप्ति के लिए अडिग हैं, ताकि अमेरिका को कम से कम यह महसूस न हो कि उसने बेवकूफी की है। इस बयान से रूस को खुशी हुई है, क्योंकि वह यह संकेत देता है कि ट्रंप यूक्रेन के भविष्य को लेकर रूस के दृष्टिकोण के प्रति सहानुभूति रखते हैं। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “जिस समझौते में हमें शामिल नहीं किया गया, उसे हम नहीं मानेंगे।”

शांति वार्ता में यूक्रेन नहीं होगा, सिर्फ अमेरिका और रूस ही शामिल होंगे

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह बयान दिया कि अगर भविष्य में यूक्रेन और रूस के बीच शांतिवार्ता होती है, तो इसमें केवल अमेरिका और रूस के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जबकि यूक्रेन को इसमें कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। उनका कहना था कि यूक्रेन को इस तरह के समझौते में शामिल करने से ही यह प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि अमेरिका को इस युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच किसी समझौते को सुलझाने में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए, और यह केवल अमेरिका और रूस के बीच बातचीत से संभव है। इस बयान ने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और अन्य नेताओं की चिंता बढ़ा दी है, जिन्होंने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्हें किसी समझौते में शामिल किए बिना कोई भी निर्णय स्वीकार नहीं होगा।

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