कैसे किया फ्री में सफर?
29 साल के एड वाइज एक पर्सनल फाइनेंस राइटर, ने ट्रेनों के समय और उनकी देरी के रुझानों को गहराई से समझ लिया। उसे यह बात खटकी कि ब्रिटिश रेलवे में अगर ट्रेन समय से पीछे चलती है, तो यात्रियों को रिफंड का हक मिलता है। इसी नियम को हथियार बनाकर उसने एक चतुर योजना रची। एड ने देखा कि ट्रेनों के लेट होने की वजहें अक्सर एक जैसी होती हैं। कभी हड़तालों का शोर, कभी मेंटेनेंस की मजबूरी, तो कभी मौसम का दखल। इस समझ को आधार बनाकर उन्होंने अपनी सारी यात्राएं तय कीं। वे सिर्फ उन ट्रेनों के टिकट लेते थे, जिनके देर होने का अंदाजा पहले से था, ताकि रिफंड की राशि उनकी जेब में आ सके। इस तरह उन्होंने सफर को अपने फायदे का सौदा बना डाला।
ब्रिटेन रेलवे का ये है नियम
ब्रिटेन में ट्रेन देरी के नियम कुछ इस तरह हैं, अगर ट्रेन 15 मिनट लेट हो तो 25% रिफंड, 30 मिनट की देरी पर 50% पैसा वापस, और एक घंटे से ज्यादा की देरी पर पूरा किराया लौटा दिया जाता है। एड वाइज ने इस नीति को अपने लिए सोने की खान बना लिया। उसने गौर किया कि हड़ताल, मेंटेनेंस का काम और खराब मौसम ही ट्रेनों को देर करने के सबसे बड़े कारण हैं। इसी जानकारी के दम पर उन्होंने अपनी यात्राओं का समय ऐसा चुना कि ट्रेनों के लेट होने की गुंजाइश ज्यादा रहे और वे रिफंड का सबसे बड़ा हिस्सा हासिल कर सकें। इस तरह उन्होंने नियमों को अपने हक में चतुराई से भुनाया।