सवाल 1: विनीता जी, अमेरिका में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं की संख्या में वृद्धि को लेकर आपके विचार क्या हैं?
विनीता तिवारी: अमेरिका में भारतीय समुदाय का आकार बढ़ने के कारण हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं बोलने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। पिछले दो-तीन दशकों में दक्षिण एशिया से आने वाले प्रवासियों की संख्या में वृद्धि ने भारतीय भाषाओं के प्रति रुचि बढ़ाई है। 2010 से 2017 तक के सर्वेक्षण के अनुसार, तेलुगू भाषा अमेरिकी समुदाय में सबसे तेजी से बढ़ने वाली भाषा बन गई थी, और हिन्दी ग्यारहवें स्थान पर है।
सवाल 2: क्या आप हमें अमेरिका में हिन्दी शिक्षा के माहौल के बारे में बता सकती हैं?
विनीता तिवारी: अमेरिका में हिन्दी शिक्षा का माहौल कुछ खास है। मैं सन 1997 में जब अमेरिका आई, तो मैंने पाया कि भारतीय भाषा और संस्कृत सीखने के लिए सप्ताहांत विद्यालयों का चलन है। इन विद्यालयों में हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं की भी शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, अमेरिका के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है, जो दक्षिण एशियाई अध्ययन के अंतर्गत आता है।
सवाल 3: अमेरिका में हिन्दी के पाठ्यक्रम की स्थिति क्या है, और किन छात्रों के लिए यह कोर्स उपलब्ध है ?
विनीता तिवारी: अमेरिका में हिन्दी पाठ्यक्रम मुख्य रूप से साउथ एशियन स्टडीज़ के अंतर्गत आता है। इन पाठ्यक्रमों का नाम अक्सर हिन्दी-उर्दू होता है, जिसमें देवनागरी और उर्दू लिपि दोनों सिखाई जाती हैं। इस प्रकार के कोर्सेज़ में रजिस्टर करने वाले छात्रों में ज्यादातर ‘हैरिटेज लर्नर्स’ होते हैं, यानी वे छात्र जिनकी जड़ें दक्षिण एशिया से जुड़ी होती हैं।
सवाल 4: हिन्दी और देवनागरी लिपि को लेकर आपके विचार क्या हैं? क्या इसे सीखना विदेशी छात्रों के लिए कठिन है ?
विनीता तिवारी: हां, देवनागरी लिपि सीखना विदेशी छात्रों के लिए कठिन है। इसकी वजह यह है कि देवनागरी लिपि की संरचना अंग्रेजी के लिपि से पूरी तरह से अलग है। हिन्दी में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं, जो अंग्रेजी बोलने वाले छात्रों के लिए एक चुनौती हैं। इसके अलावा, उच्चारण और स्वरांत की विविधता भी एक चुनौतीपूर्ण पहलू है।
सवाल 5: आपको क्या लगता है कि भविष्य में हिन्दी का क्या स्थान होगा, विशेषकर विदेशी छात्रों के बीच ?
विनीता तिवारी: वैश्वीकरण और इंटरनेट क्रांति की वजह से हिन्दी का प्रभाव बढ़ा है, लेकिन इसका भविष्य कुछ चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्वविद्यालयों में हिन्दी की ओर रुचि में कमी देखी जा रही है, और कई कारणों से हिन्दी सिखाने वाले कार्यक्रमों में छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। फिर भी, भारतीय संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए हमें हिन्दी से जुड़ी पहलों पर विचार करना होगा ताकि हिन्दी का स्थान वैश्विक स्तर पर बना रहे।
सवाल 6: हिन्दी सीखने के लिए भारतीय माता-पिता की क्या भूमिका होती है?
विनीता तिवारी: भारतीय माता-पिता का भी हिन्दी शिक्षा में एक अहम रोल है। हालांकि, कई माता-पिता अपने बच्चों को हिन्दी सिखाने में उतनी रुचि नहीं दिखाते, क्योंकि वे इसे बच्चों के व्यवसायिक विकास से जोड़ कर नहीं देखते। दूसरी तरफ, कई भारतीय परिवार अपनी प्रादेशिक भाषाओं को प्राथमिकता देते हैं, जो हिन्दी के बजाय अधिक महत्वपूर्ण महसूस होती है।
सवाल 7: अमेरिका में हिन्दी शिक्षा के आने वाले भविष्य के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
विनीता तिवारी: भारत और अमेरिकी सरकारों को हिन्दी और भारतीय भाषाओं के भविष्य के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। हिन्दी की शिक्षा को और ज्यादा आकर्षक और प्रासंगिक बनाने के लिए नई रणनीतियों और तरीकों की जरूरत है। इसके साथ ही, हिन्दी को एक ग्लोबल भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए और पहल करनी होगी, ताकि यह भाषा आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रह सके।
सवाल 8: अमेरिका में हिन्दी बोलने वालों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?
विनीता तिवारी: अमेरिका में हिन्दी बोलने वालों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण दक्षिण एशिया से आने वाले प्रवासियों की संख्या में वृद्धि है। पिछले दो-तीन दशकों में भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से लोग यहां आकर बस रहे हैं, जिससे हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बोलने वालों की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है।
सवाल 9: क्या अमेरिका में हिन्दी को स्कूलों में दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है?
विनीता तिवारी: हां, कुछ क्षेत्रों में जहां पर्याप्त संख्या में हिन्दी सीखने वाले छात्र होते हैं, वहां सरकारी स्कूलों में हिन्दी को दूसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है। हालांकि, अमेरिका के अधिकांश सरकारी स्कूलों में हिन्दी सिखाने का कार्यक्रम उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद, रविवार या सप्ताहांत विद्यालयों में हिन्दी का शिक्षण होता है।
सवाल 10: क्या आपको लगता है कि अमेरिका में हिन्दी सीखने का क्रेज बढ़ रहा है?
विनीता तिवारी: हालांकि हिन्दी बोलने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन हिन्दी सीखने का क्रेज अमेरिका में बहुत अधिक नहीं बढ़ा है। विश्वविद्यालयों में हिन्दी को लेकर रुचि कम हो रही है, और बहुत से छात्रों के लिए हिन्दी का उपयोग व्यावसायिक संदर्भ में कम होता है। फिर भी, भारत से जुड़े विद्यार्थियों के लिए हिन्दी एक महत्वपूर्ण भाषा बनी हुई है।
सवाल 11: हिन्दी भाषा के लिए अमेरिका में क्या चुनौतियाँ हैं?
विनीता तिवारी: हिन्दी भाषा की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके लिए देवनागरी लिपि का उपयोग होता है, जो अंग्रेज़ी बोलने वालों के लिए सीखना आसान नहीं है। इसके अलावा, हिन्दी के व्याकरण, उच्चारण और स्वरांत की विविधता भी विदेशी छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण होती है। दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि भारतीय परिवारों के बच्चे अपने माता-पिता से हिन्दी में बातचीत करते हैं, लेकिन स्कूल में उन्हें दूसरी भाषाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
सवाल 12: क्या भारतीय भाषाओं को सिखाने वाले विद्यालय केवल सप्ताहांत या रविवार को होते हैं?
विनीता तिवारी: जी हां, आमतौर पर भारतीय भाषाओं और संस्कृति को सिखाने वाले विद्यालय सप्ताहांत या रविवार को ही होते हैं। इसका कारण यह है कि छात्र और शिक्षक सामान्य दिनों में स्कूल या ऑफिस के कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इसलिए, ये विद्यालय सप्ताहांत में भारतीय भाषाओं की शिक्षा प्रदान करते हैं।
सवाल 13: अमेरिका के कॉलेजों में हिन्दी का अध्ययन किस तरह से होता है?
विनीता तिवारी: अमेरिका के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी दक्षिण एशियाई अध्ययन के तहत पढ़ाई जाती है। इस पाठ्यक्रम में हिन्दी और उर्दू लिपि दोनों को सिखाया जाता है। इन कोर्सों में ज्यादातर छात्र भारतीय या दक्षिण एशियाई परिवारों से होते हैं, और उनके लिए यह एक हेरिटेज लर्निंग अनुभव होता है। पाठ्यक्रम का कोई निश्चित ढांचा नहीं होता, और शिक्षक अपने तरीके से पढ़ाते हैं।
सवाल 14: हिन्दी सीखने के लिए क्या विशेष प्रयास किए जाने चाहिए?
विनीता तिवारी: हिन्दी सीखने के लिए हमें नए और दिलचस्प तरीके अपनाने होंगे। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों को देवनागरी लिपि की कठिनाई को समझाया जाए और इसे सिखाने के तरीके सरल बनाये जाएं। भारत सरकार और अमेरिकी संस्थानों को भी हिन्दी को एक ग्लोबल भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि यह भविष्य में और भी लोकप्रिय हो सके।
सवाल 15: अमेरिका में हिन्दी की शिक्षा के लिए किसी अन्य चुनौती का सामना भी किया गया है?
विनीता तिवारी: एक और बड़ी चुनौती यह है कि अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में हिन्दी जैसी भाषाओं के लिए बहुत कम अवसर होते हैं। अधिकतर छात्र या तो अंग्रेज़ी या स्पैनिश जैसी प्रमुख भाषाओं में रुचि दिखाते हैं। इसके अलावा, हिन्दी का उपयोग किसी विशेष व्यावसायिक क्षेत्र में नहीं होने के कारण, इसे अन्य भाषाओं के मुकाबले कम महत्व दिया जाता है।
सवाल 16: क्या अमेरिका में भारतीय भाषाओं के स्कूलों में हिन्दी की शिक्षा दी जाती है?
विनीता तिवारी: जी हां, अमेरिका में कई भारतीय भाषाओं के विद्यालय होते हैं, जो सप्ताहांत या रविवार को चलते हैं। इन स्कूलों में हिन्दी, संस्कृत, गुजराती, पंजाबी जैसी भारतीय भाषाओं को सिखाया जाता है। इन विद्यालयों में भारतीय संस्कृति, शास्त्रीय संगीत और अन्य कलाओं की भी शिक्षा दी जाती है। मुझे व्यक्तिगत रूप से भी हिन्दी शिक्षक के रूप में इन विद्यालयों में योगदान देने का अवसर मिला था।
सवाल 17: क्या आपको लगता है कि भारतीय प्रादेशिक भाषाओं की तुलना में हिन्दी सीखने का रुझान कम क्यों है?
विनीता तिवारी: हां, यह सही है कि कई भारतीय परिवार अपने बच्चों को हिन्दी के बजाय अपनी प्रादेशिक भाषाओं को प्राथमिकता देते हैं। इसका कारण यह है कि वे महसूस करते हैं कि इन भाषाओं का उनके जीवन और व्यवसायिक विकास में अधिक महत्व है। इसके अलावा, भारतीय परिवारों के बच्चे हिन्दी से अधिक अपने क्षेत्रीय भाषा में सहज होते हैं और उनका जुड़ाव अपनी स्थानीय भाषा से अधिक होता है, जिससे हिन्दी सीखने की रुचि कम हो जाती है।
सवाल 18: अमेरिका में 350 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं, इनमें से हिन्दी का स्थान क्या है और कौन सी भाषाएं प्रमुख हैं?
विनीता तिवारी: अमेरिका में 350 से अधिक भाषाएं भी बोली जाती है, जिसमें अंग्रेज़ी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है। तक़रीबन 78 प्रतिशत लोग अंग्रेज़ी भाषी हैं। उसके बाद 12-13 प्रतिशत नागरिक स्पेनिश बोलने वाले हैं। तीसरे नंबर पर चाइनीज़ भाषा और उसके पश्चात यूरोपियन व अन्य भाषाओं का नंबर आता है। पिछले दो तीन दशकों में दक्षिण एशिया से आने वाले लोगों की संख्या अमेरिका में काफ़ी तेज़ी से बढ़ने की वजह से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं को बोलने वालों की संख्या में भी वृद्धि देखने को मिलती है। वहीं 2010 से 2017 के बीच हुए सर्वे व सूत्रों के अनुसार अमेरिका में सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ने वाली भाषाओं में भारतीय मूल की भाषा तेलुगू का स्थान सबसे ऊपर है। सल 2017 से 2021 के दौरान लिए गए यू एस सेंसस रिकॉर्ड के अनुसार अमेरिका में बोली जाने वाली प्रमुख पांच भाषाओं की सूची इस प्रकार है। इंग्लिश,स्पैनिश,चाइनीज़ ,टैगलॉग (फ़िलीपीनो),वियत्नमीज़ और अरेबिक। हिन्दी को इस सूची में ग्यारहवें स्थान पर रखा गया है।