भारत ने साइप्रस को यूरोप (Europe) का द्वार बताया। कहा कि साइप्रस हमारा भरोसे मंद पार्टनर है। मोदी के इस दौरे से पाकिस्तान को भाई कहने वाला तुर्किए (Turkey को मिर्ची लग सकती है। पीएम मोदी का साइप्रस दौरान तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान (Recep Tayyip Erdogan) आंखों में बहुत चुभेगा।
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पीएम मोदी कनाडा में होने वाली G7 की बैठक में भाग लेने से पहले साइप्रस पहुंचे हैं। यहां उन्होंने CEO फोरम को संबोधित किया। मोदी ने साइप्रस को यूरोप का द्वार बताया। कहा कि इस साल के आखिर तक भारत और यूरोपीय यूनियन (EU) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारत में बुनियादी ढांचे के विकास में सालाना 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहे हैं। हमने इस साल मैन्युफैक्चरिंग मिशन शुरू किया है। डिजिटल पेमेंट और इनोवेशन में भारत मजबूत स्तंभ बन गया है। हमारे 1 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप सिर्फ सपने नहीं, समाधान बेचते हैं।
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नरेंद्र मोदी साइप्रस की यात्रा करने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। उनसे पहले साल 1983 में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और साल 2002 में अटल बिहारी वाजयपेयी ने साइप्रस का दौरा किया था। 23 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में मोदी साइप्रस पहुंचे। साइप्रस साल 2026 में EU की अध्यक्षता भी करने वाला है। साथ ही, साइप्रस भारत के साथ रक्षा मामलों पर आगे बढ़ने पर भी इच्छुक है।
तुर्किये को कूटनीतिक संदेश देने की कोशिश
डिप्लोमेसी में सीधा-सीधा कुछ नहीं कहा जाता है। इशारों-इशारों में संदेश देने की कोशिश की जाती है। यही कोशिश भारत ने भी की है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, तब तुर्किये पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर आ गया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत पर जवाबी हमला करने के लिए तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन्स भी भेजे थे। तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान रह-रहकर कश्मीर का राग भी छेड़ते हैं। ऐसे में पीएम मोदी ने साइप्रस जाकर तुर्किये को कूटनीतिक संदेश देने की कोशिश की है।
दरअसल, तुर्किये साइप्रस का मुख्य विवाद साइप्रस द्वीप के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के बीच अंतरराष्ट्रीय पहचान, नियंत्रण और संप्रभुता को लेकर है। इसकी शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुई। तब से अब तक कई बार दोनों देशों के बीच सैन्य झड़प भी हो चुकी है।
साल 1974 में साइप्रस के ग्रीक समुदाय के एक तख्तापलट ने यूनान से जुड़ने की योजना बनाई। इसका विरोध करते हुए तुर्किये ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से में सैन्य हस्तक्षेप किया। तुर्किये ने इसे तुर्की साइप्रस गणराज्य घोषित कर दिया। जिसे सिर्फ तुर्किये ने मान्यता दी है।
भारत ने लगातार यूएनएससी प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून के माध्यम से साइप्रस समस्या के समाधान का समर्थन किया है। तुर्किये पाकिस्तान के साथ मजबूती से खड़ा है। वहीं, भारत ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए साइप्रस के साथ संबंधों को मजबूत करने की ओर कदम बढ़ाया है।