13,500 करोड़ रुपये का हुआ था घोटाला
नीरव मोदी, उनके चाचा मेहुल चोकसी, नेहल और अन्य को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) का उपयोग करके पीएनबी से लगभग 13,500 करोड़ रुपये का ऋण धोखाधड़ी करने के लिए वांछित किया गया है। जबकि नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को यूके हाइकोर्ट द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई है, लेकिन उसे भारत लाने की प्रक्रिया में देरी हो रही है क्योंकि उसने कई अपील दायर की हैं।
नीरव मोदी को भारत लाने की तैयारी जारी
लंदन की जेल में बंद नीरव को 2019 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था। इस साल की शुरुआत में बेल्जियम सरकार ने कहा था कि भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद 65 वर्षीय चोकसी को एंटवर्प में गिरफ्तार किया गया था। चोकसी 2018 में भारत से भाग गया था और तब से एंटीगुआ और बारबुडा में एक नागरिक के रूप में रह रहा है। प्रत्यर्पण कार्यवाही में सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई
नेहल मोदी के खिलाफ आरोप ईडी और सीबीआई की जांच से पता चला है कि नीरव मोदी की ओर से अपराध की आय को वैध बनाने में नेहल ने अहम भूमिका निभाई थी। अब उसको यूके से प्रत्यर्पण का भी सामना करना पड़ रहा है। उस पर आरोप है कि उसने अपराध की आय को छिपाने के लिए शेल कंपनियों और जटिल विदेशी लेनदेन के जाल के माध्यम से बड़ी मात्रा में अवैध धन को छिपाने और स्थानांतरित करने में सहायता की। प्रत्यर्पण कार्यवाही में सुनवाई की अगली तारीख 17 जुलाई निर्धारित की गई है। इस सुनवाई के दौरान नेहल द्वारा जमानत के लिए आवेदन किए जाने की संभावना है। अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह उसकी याचिका का विरोध करेगा।