लाल सागर (Red Sea)
लाल सागर अफ्रीका और एशिया के बीच हिंद महासागर (Indian Ocean) की एक खाड़ी है। ये स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) से जुड़ता है। मिस्र, सूडान, इरीट्रिया, सऊदी अरब, और यमन इस सागर से जुड़े देश हैं। लाल सागर यानी Red Sea दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है। क्योंकि यहीं से एशिया, यूरोप, और अफ्रीका जुड़ते हैं। स्वेज नहर (Suez Canal) (मिस्र में) के जरिए आने-जाने वाले तेल और माल का बड़ा हिस्सा लाल सागर से होकर ही गुजरता है। इसीलिए तो हूती विद्रोहियों (Houthi Rebel) ने गाज़ा पर इजरायल के हमले के विरोध में पश्चिमी देशों और इजरायल पर दबाव बनाने के लिए लाल सागर से आने-जाने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले करता है और उन्हें हाइजैक करता है। इसलिए लाल सागर पर इन दिनों सुरक्षा को लेकर एक कड़ी चुनौती दुनिया के सामने है। लाल सागर तेल और गैस के भंडार के लिए भी जाना जाता है। इसलिए ऊर्जा आपूर्ति के लिए ये दुनिया का सबसे अहम सागर है।
‘लाल’ रंग पर नाम क्यों?
लाल सागर के नाम में लाल रंग जुड़ने के 2 अहम कारण हैं। एक तो ये कि पुराने समय में दिशाओं को रंगों से दर्शाया जाता था। दक्षिण को ‘लाल’ और उत्तर को ‘काला’ कहा जाता था। क्योंकि ये सागर दक्षिण में स्थित है, इसलिए इसे लाल सागर कहा गया। वहीं प्राचीन ग्रीक और हिब्रू में इस क्षेत्र को ‘एरिथ्रिया’ के रूप में बताया गया है, इस शब्द का मतलब ही ‘लाल’ होता है। दूसरा कारण ये है कि लाल सागर में ट्राइकोडेसमियम एरिथ्रियम (Trichodesmium erythraeum) नाम की एक लाल रंग का शैवाल पाई जाती है। जब ये शैवाल फूलता है, तो पानी को लाल-भूरे रंग में बदल देता है। इसलिए इसे लाल सागर कहा गया। इसका एक और कारण इस सागर के चारों तरफ लाल रंग की चट्टान और मिट्टी के पर्वत हैं। जो सूरज की रोशनी में बिल्कुल लाल रंग के दिखाई देते हैं।
काला सागर (Black Sea)
काला सागर दक्षिण-पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है। ये यूरोप, एशिया और मध्य-पूर्व को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। इस समंदर से रूस, तुर्की, बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन, और जॉर्जिया जैसे देश जुड़े हुए हैं। यूरोप और एशिया के बीच स्थित होने के चलते काला सागर समुद्री व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। ये रूसी तेल और गैस के निर्यात के लिए एक बड़ा और अहम रास्ता है। ये डैन्यूब नदी के जरिए मध्य और पश्चिमी यूरोप से जुड़ता है। यही वजह है कि ये नाटो देश और रूस के बीच तनाव का केंद्र बना हुआ है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि रूस और यूक्रेन के बीच क्रीमिया का विवाद इसी क्षेत्र में है। काला सागर में भी तेल और गैस के भंडार पाए जाते हैं और ये मछली पकड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन ऑक्सीजन की कमी और प्रदूषण के चलते ये समुद्र पारिस्थितिकीय रूप से बेहद संवेदनशील है।
काला रंग के नाम पर कैसे पड़ा नाम?
दरअसल काला सागर का पानी ऐतिहासिक रूप से जहाजों के लिए खतरनाक माना जाता था। तूफान, गहरा पानी, और खराब मौसम के कारण इसे ‘काला’ (खतरनाक या अंधेरे वाला) सागर कहा गया। दूसरा कारण ये है कि काला सागर की गहराई में ऑक्सीजन की बड़ी कमी है। ऐसे में इस क्षेत्र में सड़े हुए पदार्थ और हाइड्रोजन सल्फाइड की मौजूदगी पानी का रंग काला दिखाती है। वहीं काला सागर का पानी आमतौर पर गहरा नीला यानी लगभग काला सा दिखाई देने लगता है खासकर सर्दियों में जब सूर्य की रोशनी कम हो जाती है। इसलिए भी इसे काला सागर बोलते हैं।
पीला सागर (Yellow Sea)
काला सागर और लाल सागर के अलावा पीला सागर यानी येलो सी भी दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है। ये पूर्वी एशिया में स्थित है। ये चीन (China) और कोरियाई प्रायद्वीप के बीच फैला हुआ है। चीन, उत्तर कोरिया, और दक्षिण कोरिया इस सागर से जुड़े हुए हैं। व्यापार के दृष्टि से ये चीन के लिए एक प्रमुख समुद्री मार्ग हैं। चीन के शंघाई, तियानजिन, और क़िंगदाओ जैसे बड़े बंदरगाह इसी सागर के तट पर हैं। ये क्षेत्र मछली पकड़ने और समुद्री उत्पादों के लिए बेहद अहम है। यहां भी तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं। गौरतलब है कि ये सागर चीन, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच विवादित क्षेत्र है। ये पूर्वी चीन सागर उत्तर-पश्चिमी भाग है। ये अमेरिकी और चीनी नौसेनाओं के बीच तनाव का क्षेत्र भी है।
पीला सागर अपने ऊथल-पुथल वाले मौसम और उथले पानी के चलते एक खास पारिस्थितिकी को बतलाता है। चीन के व्यापार के चलते यहां बड़े स्तर पर औद्योगिक प्रदूषण हो गया है जो कि एक बड़ी समस्या है। एशिया के प्रमुख देशों के लिए इसका आर्थिक और सामरिक महत्व है।
पीला रंग के नाम पर कैसे पड़ा?
येलो सी का नाम रंग पर कैसे पड़ा इसका एक बड़ा कारण मान्यताओं पर जाता है। दरअसल पीला रंग शाही शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। वहीं ह्वांग हो नदी जिसे “पीली नदी” भी कहा जाता है इस सागर में गिरती है इसलिए इसे पीला सागर कहते हैं। दरअसल ये नदी अपने साथ पीले रंग की गाद यानी सिल्ट और मिट्टी लेकर आती है, जिससे सागर का पानी पीले रंग का दिखने लगता है, क्योंकि इस नदी की गाद में लोएस मिट्टी (loess soil) होती है, जो पानी को मटमैला और हल्का पीला बना देती है। गाद और मिट्टी की मौजूदगी के चलते जब सूरज की रोशनी समंदर के पानी पर पड़ती है, तो सागर पीले रंग का दिखाई देने लगता है।