फुलब्राइट, गिलमैन और क्रिटिकल लैंग्वेज जैसी स्कॉलरशिप्स प्रभावित
ट्रंप के इस फैसले से भारत समेत कई विदेशी छात्र और संभावित शोध उम्मीदवारों का भविष्य अब चुनौतियों के नए दौर में पहुंच गया है। ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी सरकार द्वारा अब तक दी जाती रहीं फुलब्राइट, गिलमैन और क्रिटिकल लैंग्वेज जैसी लोकप्रिय स्कॉलरशिप्स प्रभावित हुई हैं। इसके अंतर्गत चयनित हुए छात्रों को अब अपने अपेक्षित वजीफे से हाथ धोना पड़ा है। फुलब्राइट स्कॉलरशिप पर 8,000 से ज़्यादा छात्र विभिन्न विषयों पर नए शोध करते थे। इसमें से 4,000 से ज़्यादा स्कॉलरशिप्स विदेशी छात्रों को दी जाती थीं, जिसमें भारत से करीब 320 छात्र हर साल अमेरिका जाकर विभिन्न विषयों पर शोध करते थे। इसी तरह से गिलमिन स्कॉलरशिप में अब तक पिछले 24 सालों में 44 हज़ार विदेशी छात्र अनेक अहम विषयों पर शोध कर चुके हैं। लेकिन अब सारी स्कॉलरशिप्स बंद हो गई हैं।
पैदा हुआ जोखिम
स्कॉलरशिप्स निलंबित होने और कोई अन्य विकल्प नहीं होने से अधिकांश स्कॉलर्स को अब अपने शैक्षणिक और सांस्कृतिक मिशन को छोड़ने का जोखिम उठाना पड़ रहा है। हज़ारों विदेशी छात्र वित्तीय संकट में फंस गए हैं। साथ ही इससे उनकी शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पहल भी प्रभावित हुई है।