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Manmohan Singh: पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने की 72 यादगार विदेश यात्राएं, भारत को किस यात्रा का मिला क्या लाभ, जानिए

Manmohan Singh’s foreign visits: पहले अर्थशास्त्री और बाद में प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहनसिंह ने कुशल शासक के रूप में भूमिका निभाई। उन्होंने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 के बीच भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पहली विदेश यात्रा थाईलैंड की जुलाई 2004 में प्रथम बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में […]

नई दिल्लीDec 28, 2024 / 12:44 pm

M I Zahir

Manmohansingh Foreign Trip

Manmohansingh Foreign Trip

Manmohan Singh’s foreign visits: पहले अर्थशास्त्री और बाद में प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहनसिंह ने कुशल शासक के रूप में भूमिका निभाई। उन्होंने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 के बीच भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान पहली विदेश यात्रा थाईलैंड की जुलाई 2004 में प्रथम बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए की थी। उनकी विदेश यात्राओं पर नजर डालें तो भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने दस साल के कार्यकाल में, मनमोहन सिंह ने 72 विदेश यात्राएं कीं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 46 देशों का दौरा किया था। आइए उनमें से कुछ यात्राओं के बारे में जानते हैं।

मनमोहनसिंह की विदेश यात्राएं एक झलक: एक जायजा

प्रधानमंत्री रहते हुूए मनमोहनसिंह ने पहली विदेश यात्रा के दौरान बेल्जियम , ब्रुनेई , कंबोडिया , कनाडा , क्यूबा , ​​डेनमार्क , मिस्र , इथियोपिया , फिनलैंड , ईरान , इटली , कजाकिस्तान , लाओस , मालदीव , मॉरीशस , मैक्सिको , नीदरलैंड , नाइजीरिया , ओमान , फिलीपींस , कतर , सऊदी अरब , श्रीलंका , तंजानिया , त्रिनिदाद और टोबैगो , युगांडा , उज्बेकिस्तान व वियतनाम की यात्रा की। मनमोहनसिंह ने अफ़गानिस्तान , बांग्लादेश , भूटान , मलेशिया , म्यांमार , सिंगापुर व दक्षिण कोरिया की दूसरी विदेश यात्रा की।मनमोहनसिंह ने ब्राज़ील , इंडोनेशिया व थाईलैंड की तीसरी विदेश यात्रा की। उन्होंनने चीन , फ्रांस , जर्मनी , दक्षिण अफ्रीका व यूनाइटेड किंगडम की चौथी विदेश यात्रा की। वहीं मनमोहनसिंह की पांचवीं विदेश यात्रा जापान की थी। उनकी छठी विदेश यात्रा रूस की थी जबकि प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहनसिंह की सातवीं विदेश यात्रा संयुक्त राज्य अमेरिका की रही।

मनमोहनसिंह की थाईलैंड यात्रा

मनमोहनसिंह ने 29–31 जुलाई 20024 में प्रथम बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहली विदेश यात्रा की थी। उन्होंने प्रथम बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लिया था और प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा से मुलाकात की थी। सिंह ने अन्य सहभागी बिम्सटेक नेताओं के साथ बातचीत की और बहुपक्षीय वार्ता की थी।

मनमोहनसिंह की यूके यात्रा

मनमोहनसिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए यूनाइटेड किंगडम लंदन में 19–20 सितंबर को प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर से मुलाकात कर उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। इसके अच्छे परिणाम रहे।

मनमोहनसिंह की महत्वपूर्ण यूएस यात्राएं

न्यूयॉर्क में 21–26 सितंबर 2004 में 59वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भाग लिया और महासभा को संबोधित किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से मुलाकात की और संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ,अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ सहित अन्य सहभागी नेताओं के साथ बहुपक्षीय वार्ता की । वहीं जी4 देशों के नेताओं से भी बातचीत की। वाशिंगटन डीसी 16–21 जुलाई 2005 संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा। व्हाइट हाउस लॉन में औपचारिक स्वागत किया गया , राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश से मुलाकात की और बातचीत की और राष्ट्रपति बुश और प्रथम महिला लॉरा बुश ने उनके सम्मान में आयोजित भोज में शामिल हुए । संयुक्त राज्य अमेरिका कांग्रेस की विशेष संयुक्त बैठक को संबोधित किया और कई फ्लोर नेताओं से मुलाकात की। संयुक्त राष्ट्र (संयुक्त राज्य अमेरिका) न्यूयॉर्क शहर 15–17 सितंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 60वें सत्र को संबोधित किया । वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान के साथ संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष के शुभारंभ में भाग लिया। उन्होंने मलेशियाई प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अहमद बदावी , चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ सहित अन्य भाग लेने वाले नेताओं के साथ बातचीत की। राजनयिक नजरिये से ये यात्राएं अहम रहीं।

मनमोहनसिंह की बांग्लादेश यात्रा

बांग्लादेश ढाका 11–13 नवंबर 2005 मंं 14वें सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लिया। प्रधानमंत्री खालिदा जिया से मुलाकात की। जियाउर रहमान की समाधि पर गए और शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया। अन्य सहभागी सार्क नेताओं के साथ बहुपक्षीय वार्ता भी की।

पूर्व पीएम मनमोहनसिंह की मलेशिया यात्रा

मलेशिया क्वालालंपुर 12–14 दिसंबर 2005 आसियान शिखर सम्मेलन , प्रथम पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और वार्षिक भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लिया । प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अहमद बदावी से मुलाकात की और वियतनामी प्रधानमंत्री फान वान खाई , दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति रोह मू-ह्यून , जापानी प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी सहित अन्य भाग लेने वाले नेताओं के साथ बहुपक्षीय वार्ता की ।

मनमोहनसिंह की नीदरलैंड एम्सटर्डम बिन्नेन्होफ़ यात्रा

उन्होंने द हेग 7–10 नवंबर 2004 को यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया। वहीं प्रधानमंत्री जान-पीटर बाल्केनेंडे और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष रोमानो प्रोदी से मुलाकात कर वार्ता में भाग लिया। नूर्डेनडे पैलेस में रानी बीट्रिक्स से मुलाकात की और यूरोपीय संघ-भारत व्यापार मंच की बैठक को संबोधित किया। भारत के लिए यह अच्छा रहा।

मनमोहनसिंह की आसियान यात्रा

मनमोहनसिंह ने 28–30 नवंबर 2004 को आसियान शिखर सम्मेलन और वार्षिक भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। वहीं प्रधानमंत्री बौनहांग वोराचिथ और राष्ट्रपति खामताई सिफानडोन से मुलाकात की । साथ ही अन्य सहभागी आसियान नेताओं और चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के साथ बहुपक्षीय वार्ता की। पहली आसियान-भारत कार रैली को भी हरी झंडी दिखाई। भारत के मित्र देशों से रिश्ते मजबूत हुए।

मनमोहनसिंह की मॉरीशस पोर्ट लुइस यात्रा

मनमोहनसिंह ने मॉरीशस पोर्ट लुइस 30 मार्च–2 अप्रेल 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पॉल बेरेन्जर और राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगन्नाथ से मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान नेशनल असेंबली के विशेष सत्र को संबोधित किया और एबेने सिटी टॉवर का उद्घाटन किया। मुख्य न्यायाधीश अरिरंग पिल्लई , विपक्ष के नेता नवीनचंद्र रामगुलाम और संस्कृति मंत्री जयाकृष्ण कट्टरी से भी मुलाकात की।

मनमोहनसिंह की जकार्ता यात्रा

इंडोनेशिया जकार्ता 22–24 अप्रेल एशिया-अफ्रीका शिखर सम्मेलन और 1955 के बांडुंग सम्मेलन के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया। राष्ट्रपति सुसीलो बामबांग युधोयोनो से मुलाकात की और नेपाली राजा ज्ञानेंद्र , श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ सहित अन्य भाग लेने वाले नेताओं के साथ बहुपक्षीय वार्ता की।

मनमोहनसिंह की रूस यात्रा

मनमोहनसिंह रूस मास्को 8–10 मई 2004 की विजय दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य आमंत्रित राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों से मुलाकात की। इसी तरह उन्होंने रूस मास्को 4–7 दिसंबर 2005 वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होते हुए देखे। प्रथम उप प्रधानमंत्री सर्गेई इवानोव और उद्योग मंत्री विक्टर ख्रीस्तेंको से भी मुलाकात की। मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी दने “प्रोफेसर ऑनोरिस कॉसा” की उपाधि प्राप्त की और अज्ञात सैनिक की समाधि का दौरा किया ।

मनमोहनसिंह की इंग्लैंड यात्रा

मनमोहनसिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए यूनाइटेड किंगडम लंदन, ऑचटररडर 6–9 जुलाई 31वें जी-8 शिखर सम्मेलन में अतिथि के रूप में भाग लिया। वहीं प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और फ्रांस, जापान, जर्मनी और ब्राजील के सहभागी नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और लंदन में इंडिया हाउस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संबोधित किया।

मनमोहनसिंह की अफ़ग़ानिस्तान यात्रा

अफ़ग़ानिस्तान काबुल 28–29 अगस्त 2005 को राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात की और बाग-ए-बाबर स्थित मजार का दौरा किया । पूर्व राजा मोहम्मद जहीर शाह के साथ नए संसद भवन की आधारशिला रखी।

मनमोहनसिंह की फ्रांस यात्रा

मनमोहनसिंह ने 12–14 सितंबर 2005 को फ्रांस पेरिस एलीसी पैलेस में राष्ट्रपति जैक्स शिराक से मुलाकात कर रणनीतिक वार्ता की। वहीं होटल मैटिग्नन में प्रधान मंत्री डोमिनिक डी विलेपिन से भी मुलाकात की।

उनके कार्यकाल में विदेश नीति अच्छी रही

बहरहाल मनमोहनसिंह की विदेश यात्राओं ने भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण को विस्तारित किया, और भारत की वैश्विक पहचान को सशक्त किया। इन यात्राओं का उद्देश्य केवल द्विपक्षीय रिश्तों को सुदृढ़ करना नहीं था, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर अधिक प्रभावी और प्रासंगिक बनाना भी था।

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