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पेंसिल तक उठाना होगा मुश्किल, धरती पर वापसी के बाद सुनीता विलियम्स को चुनौती देगी ये गंभीर समस्या

Sunita Williams: एक इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स ने कहा है कि धरती पर वापसी के बाद गुरुत्वाकर्षण (Gravitational Force) ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी, एक तरह से उनके लिए पेंसिल उठाना तक भारी हो जाएगा।

भारतFeb 20, 2025 / 09:35 am

Jyoti Sharma

Sunita Williams Face Difficulties after landing to earth from Sapce Station

Sunita Williams in ISS

Sunita Williams on Landing to Earth: अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की अगले महीने पृथ्वी पर प्रस्तावित वापसी को लेकर वैज्ञानिक उत्साहित हैं, लेकिन करीब आठ महीने अंतरिक्ष में गुजारने के बाद दोनों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे बड़ी चुनौती पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational Force) से दोबारा तालमेल बैठाने की होगी। दोनों ने माइक्रोग्रैविटी में आठ महीने बिताए हैं। वापसी के बाद वे बहुत अहम शारीरिक बदलावों का अनुभव करेंगे। उनके शरीर के लिए गुरुत्वाकर्षण का असर झटके जैसा होगा।

गुरुत्वाकर्षण सबसे बड़ी चुनौती

एक इंटरव्यू में सुनीता विलियम्स के साथी बुच विल्मोर (Barry Wilmore) ने कहा कि हमारे लिए गुरुत्वाकर्षण सबसे बड़ी चुनौती होगा। पेंसिल उठाना भी भारी काम लगेगा। सुनीता विलियम्स ने भी कहा कि परिस्थितियों का अनुकूलन करना थोड़ा मुश्किल होगा। अंतरिक्ष में जिन परिस्थितयों में आनंद आया है, उन्हें हम पृथ्वी पर पहुंचने पर खोना शुरू कर देंगे। वापसी के बाद सुनीता विलियम्स को पुनर्वास प्रोग्राम (Rehabilitation Program) से गुजरना होगा, ताकि फिर से शरीर को पृथ्वी की परिस्थितियों के अनुकूल बना सकें।

कुछ दिन चलना-फिरना होगा मुश्किल

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने के कारण शरीर की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। वहां काम करने के लिए शरीर को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, क्योंकि हर चीज हवा में तैरती रहती है। पृथ्वी पर लौटे अंतरिक्ष यात्रियों को गुरुत्वाकर्षण के साथ तालमेल बिठाना पड़ता है। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को कुछ दिन चलने-फिरने और संतुलन बनाने में मुश्किल हो सकती है।

हड्डियों के साथ आंखों पर भी असर

लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से हड्डियों का घनत्व हर महीने करीब 1 प्रतिशत तक कम हो जाता है। पैरों, पीठ और गर्दन की हड्डियां ज्यादा प्रभावित होती हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष में जीरो ग्रैविटी के कारण शरीर का तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ जाता है। इससे आंखों के पीछे की नसों पर दबाव पड़ता है। इसका असर दृष्टि पर पड़ सकता है और नए चश्मे की जरूरत पड़ सकती है।

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