भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही- PM Modi
पीएम मोदी ने यहां विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही है। भाषाओं ने हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध किया है। अक्सर, जब भाषा के आधार पर विभाजन पैदा करने का प्रयास किया जाता है, तो हमारी साझा भाषाई विरासत एक मजबूत प्रतिवाद प्रदान करती है। इन गलत धारणाओं से खुद को दूर रखना और सभी भाषाओं को अपनाना और समृद्ध करना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है। यही कारण है कि आज हम देश की सभी भाषाओं को मुख्यधारा की भाषाओं के रूप में देख रहे हैं।’अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का इतिहास
इस सम्मेलन का आयोजन पहली बार मई 1878 में न्यायमूर्ति महादेव गोविंद रानाडे ने पुणे में किया गया था। 1954 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
समकालीन विमर्श में इसकी भूमिका तलाशने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 71 वर्षों के बाद मराठी साहित्य सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
मराठी को शास्त्रीय भाषा का मिला दर्जा
PMO की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, “राष्ट्रीय राजधानी में 71 वर्षों के बाद आयोजित हो रहा मराठी साहित्य सम्मेलन मराठी साहित्य की कालातीत प्रासंगिकता का जश्न मनाएगा और समकालीन विमर्श में इसकी भूमिका तलाशेगा।”
यह तब हुआ है जब सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। 21 से 23 फरवरी तक आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत का जश्न मनाएगा।
एक प्रतीकात्मक साहित्यिक ट्रेन यात्रा भी होगी शामिल
PMO की विज्ञप्ति के अनुसार, “सम्मेलन 21 से 23 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा और इसमें पैनल चर्चा, पुस्तक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक प्रदर्शन और प्रतिष्ठित साहित्यिक हस्तियों के साथ संवादात्मक सत्रों की एक विविध श्रृंखला आयोजित की जाएगी। सम्मेलन मराठी साहित्य की कालातीत प्रासंगिकता का जश्न मनाएगा और समकालीन विमर्श में इसकी भूमिका का पता लगाएगा, जिसमें भाषा संरक्षण, अनुवाद और साहित्यिक कार्यों पर डिजिटलीकरण के प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं।” इस कार्यक्रम में पुणे से दिल्ली तक एक प्रतीकात्मक साहित्यिक ट्रेन यात्रा भी शामिल होगी, जिसमें साहित्य की एकीकृत भावना को दिखाने के लिए 1,200 प्रतिभागी भाग लेंगे।क्या-क्या होगा खास
विज्ञप्ति में बताया, “71 वर्षों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित हो रहे मराठी साहित्यिक समागम में पुणे से दिल्ली तक एक प्रतीकात्मक साहित्यिक रेल यात्रा भी शामिल है, जिसमें 1,200 प्रतिभागी भाग लेंगे, जो साहित्य की एकीकृत भावना को प्रदर्शित करेगा। इसमें 2,600 से अधिक कविता प्रस्तुतियां, 50 पुस्तक लोकार्पण और 100 पुस्तक स्टॉल आदि शामिल होंगे। देश भर से प्रतिष्ठित विद्वान, लेखक, कवि और साहित्य प्रेमी इसमें भाग लेंगे।