इस रिपोर्ट पर कांग्रेस नेता और सांसद जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने बयान दिया है। इस रिपोर्ट को शेयर करते हुए जयराम रमेश ने लिखा है कि “झूठ सबसे पहले वाशिंगटन में बोला गया फिर झूठ को भाजपा की झूठ सेना द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, अब इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है क्या इसके लिए माफी मांगी जाएगी।”
बांग्लादेश के लिए थी ये फंडिंग?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये फंडिंग दरअसल बांग्लादेश के लिए थी जो शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान ही सन् 2022 में अमेरिका की तरफ से जारी हुई थी। इस फंडिंग में से 13.4 मिलियन डॉलर पहले ही बांग्लादेश को दिए जा चुके हैं। ये रकम बांग्लादेश सरकार को तब तक दी गई थी, जब शेख हसीना के बांग्लादेश के पीएम का पद छोड़ने और तख्तापलट में सिर्फ 7 महीने बाकी थे। इस फंडिंग का उद्देश्य जनवरी 2024 के बांग्लादेश चुनाव और इस पर सवालिया निशान उठाने वाली परियोजनाओं के लिए बांग्लादेश के छात्रों के बीच राजनीतिक और नागरिक जुड़ाव करना था।
2008 के बाद से भारत में कोई USAID की परियोजना नहीं
रिपोर्ट में बताया गया है कि USAID को कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) के जरिए 486 मिलियन डॉलर मिले थे। लेकिन DOGE के मुताबिक इसमें मोल्दोवा के लिए 22 मिलियन डॉलर, भारत में मतदाता मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर भी शामिल है। लेकिन अमेरिका के संघीय व्यय के डेटा के मुताबिक 2008 के बाद से भारत में कोई USAID की कोई CEPPS परियोजना नहीं है। CEPPS को 21 मिलियन डॉलर के वोटर टर्नआउट से मिलता-जुलता सिर्फ एक ही अनुदान था जो जुलाई 2022 में बांग्लादेश के अमर वोट अमर (मेरा वोट मेरा है) परियोजना के लिए मंजूर किया गया था। रिकॉर्ड्स से पता चला है कि 2022 से 2025 तक इस मदद से 13.4 मिलियन डॉलर खर्च हो चुके हैं।
बांग्लादेश में इन कामों पर खर्च हुई फंडिंग
जुलाई 2022 और अक्टूबर 2024 के बीच इस फंडिंग को 6 उप-अनुदान में बांटा भी गया है। हालांकि पता चला है कि इनमें से कुछ उप-अनुदान बांग्लादेश में कैसे खर्च किए गए हैं। दरअसल 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के पद से हटने के बाद ढाका विश्वविद्यालय के माइक्रो गवर्नेंस रिसर्च के निदेशक एसोसिएट प्रोफेसर अयनुल इस्लाम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों में 2022 से 544 युवा कार्यक्रमों और कार्यक्रमों को इसका श्रेय जाता है। 221 एक्शन प्रोजेक्ट्स और 170 लोकतंत्र सत्रों के जरिए से वे सीधे 10,264 विश्वविद्यालय में पहुंचे। उन्होंने कहा कि ये सब अमेरिका की मदद USAID और IFES से हो पाया है। इस्लाम ने इसकी पुष्टि रिपोर्ट में भी की है।
तो क्या इसी पैसे से बांग्लादेश में हुए दंगे
2024 में बांग्लादेश में जो नौकरी में आरक्षण कोटा के विरोध के नाम पर जो छात्र आंदोलन भड़का और प्रदर्शन हुए, क्या उसमें इस फंड का इस्तेमाल किया गया था, ये सवाल अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अपना सिर उठा रहा है। क्योंकि इस्लाम ने इस बात की पुष्टि की है कि USAID ने IFES के जरिए नागरिक कार्यक्रम को फंडिंग की थी। दूसरा बांग्लादेश में दो उप-अनुदान लेने वाले NDI और IRI की रिपोर्ट से पता चला है कि उन्होंने बांग्लादेश के 7 जनवरी 2024 को होने वाले चुनवों से पहले और बाद में संभावित हिंसा की निगरानी के लिए PEAM औऱ TAM संयुक्त तौर पर संचालन किया था। वहीं चुनाव के बाद मार्च में इसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि देश की सुरक्षा सेवाओं और दूसरे सरकारी संस्थानों ने सत्तारूढ़ आवामी लीग (शेख हसीना की पार्टी) के पक्ष में असमान रूप से चुनावी नियमोंको लागू किया।
16 फरवरी को DOGE ने फंडिंग को भारत का बताकर की रद्द
टेक दिग्गज एलन मस्क (Elon Musk) के नेतृत्व वाले अमेरिका के DOGE यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (सरकारी दक्षता विभाग) ने 16 फरवरी को भारत को 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग रद्द की थी। जिसे डोनाल्ड ट्रंप ने सही बताया था और ये सवाल भी उठाया था कि भारत खुद इतना सशक्त है और उसके पास इतना पैसा है तो अमेरिका भारत को फंडिंग क्यों कर रहा है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि शायद जो बाइडेन भारत के चुनाव में किसी और को जिताना चाहते थे इसलिए उन्होंने ये फंडिंग ये जारी की थी। इधर भारत में भी इस मुद्दे को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। बीजेपी ने इस कांग्रेस की UPA सरकार के दौरान विदेशी ताकतों को भारत में घुसपैठ की परमिशन करार दिया था तो वहीं कांग्रेस ने इस मामले की जांच उठाई थी।