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‘हमने 1971 का बदला ले लिया है’, हाफिज सईद के संगठन ने कहा- बांग्लादेश से शेख हसीना को बाहर निकालने में हमारी भूमिका

Jamaat-ud-Dawa (JuD): जमात-उद-दावा के नेताओं ने दावा किया है कि उन्होंने बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सत्ता से बेदखल करने में योगदान दिया है।

भारतJun 01, 2025 / 04:43 pm

Devika Chatraj

Sheikh Hasina

Sheikh Hasina (IANS)

Bangladesh Political Crisis: मुंबई आतंकी हमले (26/11) के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (JuD) के सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) से जुड़े नेताओं ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की हार का बदला लेते हुए पिछले साल बांग्लादेश में हुए बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा।

भाषण में दावा

जमात-उद-दावा के दो प्रमुख नेताओं, सैफुल्लाह कसूरी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी मुजम्मिल हाशमी, ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने भड़काऊ भाषणों में ये दावे किए। कसूरी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहीम यार खान के इलाहाबाद में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “जब मैं चार साल का था, तब 1971 में पाकिस्तान का विभाजन हुआ था। उस समय भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि उन्होंने दो राष्ट्र सिद्धांत को बंगाल की खाड़ी में डुबो दिया। लेकिन 10 मई को हमने 1971 का बदला ले लिया।”

भाषण में किया खुलासा

कसूरी ने अपने भाषण में यह भी खुलासा किया कि 7 मई को भारत द्वारा मुरिदके (जमात-उद-दावा/लश्कर-ए-तैयबा मुख्यालय) पर किए गए हवाई हमले में उनके एक करीबी सहयोगी, मुदस्सर, मारा गया था। यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के जवाब में किया गया था। वहीं, गुजरांवाला में अपने भाषण में मुजम्मिल हाशमी ने भारतीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा, “हमने पिछले साल बांग्लादेश में आपको हराया।” उनका इशारा 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने की ओर था, जब छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद हसीना को भारत भागना पड़ा। इसके तीन दिन बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्यभार संभाला।

1971 का संदर्भ और बदले की भावना

1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम दक्षिण एशिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जब भारत के समर्थन से पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता हासिल की थी। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। कसूरी और हाशमी ने अपने भाषणों में इस हार को “पाकिस्तान के विभाजन” के रूप में उल्लेख किया और दावा किया कि शेख हसीना की सरकार को हटाना उस हार का बदला था।

बांग्लादेश में हसीना की सत्ता का अंत

शेख हसीना, जो बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं, 2009 से 2024 तक लगातार 15 वर्षों तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। उनके शासनकाल में बांग्लादेश ने आर्थिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की, लेकिन उनकी सरकार पर विपक्षी नेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगे।

प्रदर्शन में 500 से अधिक लोग मारे गए

2024 में, सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें 500 से अधिक लोग मारे गए। इन प्रदर्शनों ने हसीना के इस्तीफे की मांग को तेज कर दिया। 5 अगस्त 2024 को, सेना और पुलिस अधिकारियों ने हसीना से इस्तीफा देने को कहा, जिसे उन्होंने शुरू में ठुकरा दिया और कहा, “मुझे यहीं, गणभवन में गोली मार दो और दफना दो।” अंततः, उनके बेटे सजिब वाजेद जॉय के समझाने पर वह भारत भाग गईं।

पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंधों में बदलाव

हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। हसीना की सरकार को भारत के करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता था, और उनके शासनकाल में भारत-बांग्लादेश संबंध मजबूत थे। उनके जाने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंधों में नई गर्मजोशी देखी गई, जिसे JuD नेताओं ने अपनी जीत के रूप में प्रचारित किया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने JuD नेताओं के बयानों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “जिहादी उग्रवादियों की सार्वजनिक सभाओं में इस तरह की बयानबाजी से दुनिया के लिए यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि पाकिस्तान अब उनकी गतिविधियों को प्रायोजित या सहन नहीं करता।” हक्कानी के इस बयान ने पाकिस्तान सरकार पर सवाल उठाए, जो दावा करती है कि वह आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है।

भारत और बांग्लादेश का रुख

भारत, जहां शेख हसीना ने शरण ली है, ने अभी तक इस दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, भारत ने पहले बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (विशेषकर हिंदुओं) पर हमलों और सांस्कृतिक व धार्मिक संपत्तियों पर हुए हमलों को लेकर चिंता जताई थी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी हसीना के खिलाफ “मानवता के खिलाफ अपराध” के आरोप लगाए हैं, जो उनके शासनकाल में प्रदर्शनों के दमन से जुड़े हैं।

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