हनुमान जयंती पर बजरंगबली की पूजा (Hanuman Jayanti Puja)
घर पर हनुमानजी का कोई भी चित्र लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें और पूजन में चंदन, सिंदूर, अक्षत, कनेर, गुड़हल और गुलाब का फूल अर्पित करें। इसके साथ नैवेद्य में मालपुआ, बेसन के लड्डू आदि लें तब आरती कर संकल्प लेकर मंत्र जप करें।
हनुमानजी के मंत्र (Mantras Of Hanumanji)
- ॐ आञ्जनेयाय नमः।
- ॐ महावीराय नमः।
- ॐ हनुमते नमः।
- ॐ मारुतात्मजाय नमः।
- ॐ तत्वज्ञानप्रदाय नमः।
- ॐ सीतादेवीमुद्राप्रदायकाय नमः।
- ॐ अशोकवनिकाच्छेत्रे नमः।
- ॐ सर्वमायाविभञ्जनाय नमः।
- ॐ सर्वबन्धविमोक्त्रे नमः।
- ॐ रक्षोविध्वंसकारकाय नमः।
- ॐ परविद्यापरिहाराय नमः।
- ॐ परशौर्यविनाशनाय नमः।
- ॐ परमन्त्रनिराकर्त्रे नमः।
- ॐ परयन्त्रप्रभेदकाय नमः।
- ॐ सर्वग्रहविनाशिने नमः।
- ॐ भीमसेनसहायकृते नमः।
- ॐ सर्वदुःखहराय नमः।
- ॐ सर्वलोकचारिणे नमः।
- ॐ मनोजवाय नमः।
- ॐ पारिजातद्रुमूलस्थाय नमः।
- ॐ सर्वमन्त्रस्वरूपवते नमः।
- ॐ सर्वतन्त्रस्वरूपिणे नमः।
- ॐ सर्वयन्त्रात्मकाय नमः।
- ॐ कपीश्वराय नमः।
- ॐ महाकायाय नमः।
- ॐ सर्वरोगहराय नमः।
- ॐ प्रभवे नमः।
- ॐ बलसिद्धिकराय नमः।
- ॐ सर्वविद्यासम्पत्प्रदायकाय नमः।
- ॐ कपिसेनानायकाय नमः।
- ॐ भविष्यच्चतुराननाय नमः।
- ॐ कुमारब्रह्मचारिणे नमः।
- ॐ रत्नकुण्डलदीप्तिमते नमः।
- ॐ चञ्चलद्बालसन्नद्धलम्बमानशिखोज्ज्वलाय नमः।
- ॐ गन्धर्वविद्यातत्वज्ञाय नमः।
- ॐ महाबलपराक्रमाय नमः।
- ॐ कारागृहविमोक्त्रे नमः।
- ॐ शृङ्खलाबन्धमोचकाय नमः।
- ॐ सागरोत्तारकाय नमः।
- ॐ प्राज्ञाय नमः।
- ॐ रामदूताय नमः।
- ॐ प्रतापवते नमः।
- ॐ वानराय नमः।
- ॐ केसरीसुताय नमः।
- ॐ सीताशोकनिवारकाय नमः।
- ॐ अञ्जनागर्भसम्भूताय नमः।
- ॐ बालार्कसदृशाननाय नमः।
- ॐ विभीषणप्रियकराय नमः।
- ॐ दशग्रीवकुलान्तकाय नमः।
- ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।
- ॐ वज्रकायाय नमः।
- ॐ महाद्युतये नमः।
- ॐ चिरञ्जीविने नमः।
- ॐ रामभक्ताय नमः।
- ॐ दैत्यकार्यविघातकाय नमः।
- ॐ अक्षहन्त्रे नमः।
- ॐ काञ्चनाभाय नमः।
- ॐ पञ्चवक्त्राय नमः।
- ॐ महातपसे नमः।
- ॐ लङ्किनीभञ्जनाय नमः।
- ॐ श्रीमते नमः।
- ॐ सिंहिकाप्राणभञ्जनाय नमः।
- ॐ गन्धमादनशैलस्थाय नमः।
- ॐ लङ्कापुरविदाहकाय नमः।
- ॐ सुग्रीवसचिवाय नमः।
- ॐ धीराय नमः।
- ॐ शूराय नमः।
- ॐ दैत्यकुलान्तकाय नमः।
- ॐ सुरार्चिताय नमः।
- ॐ महातेजसे नमः।
- ॐ रामचूडामणिप्रदायकाय नमः।
- ॐ कामरूपिणे नमः।
- ॐ पिङ्गलाक्षाय नमः।
- ॐ वार्धिमैनाकपूजिताय नमः।
- ॐ कवलीकृतमार्तण्डमण्डलाय नमः।
- ॐ विजितेन्द्रियाय नमः।
- ॐ रामसुग्रीवसन्धात्रे नमः।
- ॐ महारावणमर्दनाय नमः।
- ॐ स्फटिकाभाय नमः।
- ॐ वागधीशाय नमः।
- ॐ नवव्याकृतिपण्डिताय नमः।
- ॐ चतुर्बाहवे नमः।
- ॐ दीनबन्धवे नमः।
- ॐ महात्मने नमः।
- ॐ भक्तवत्सलाय नमः।
- ॐ सञ्जीवननगाहर्त्रे नमः।
- ॐ शुचये नमः।
- ॐ वाग्मिने नमः।
- ॐ दृढव्रताय नमः।
- ॐ कालनेमिप्रमथनाय नमः।
- ॐ हरिमर्कटमर्कटाय नमः।
- ॐ दान्ताय नमः।
- ॐ शान्ताय नमः।
- ॐ प्रसन्नात्मने नमः।
- ॐ शतकण्ठमदापहृते नमः।
- ॐ योगिने नमः।
- ॐ रामकथालोलाय नमः।
- ॐ सीतान्वेषणपण्डिताय नमः।
- ॐ वज्रदंष्ट्राय नमः।
- ॐ वज्रनखाय नमः।
- ॐ रुद्रवीर्यसमुद्भवाय नमः।
- ॐ इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्रविनिवारकाय नमः।
- ॐ पार्थ ध्वजाग्रसंवासिने नमः।
- ॐ शरपञ्जरभेदकाय नमः।
- ॐ दशबाहवे नमः।
- ॐ लोकपूज्याय नमः।
- ॐ जाम्बवत्प्रीतिवर्धनाय नमः।
- ॐ सीतासमेतश्रीरामपादसेवाधुरन्धराय नमः।
॥ इति श्रीहनुमानष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णा ॥
हनुमानजी के जन्म की कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन काल में अंजना एक अप्सरा थीं, एक श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार अंजना की केसरी से विवाह हुआ और कालांतर में श्री हनुमान जी का जन्म हुआ। केसरी सुमेरू के राजा थे और बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वास है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।