सोम प्रदोष पर विशेष योग (Yog On Som Pradosh)
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आषाढ़ कृष्ण प्रदोष सोमवार को पड़ रहा है यानी यह सोम प्रदोष व्रत है। खास बात यह है कि इस समय कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग, आर्द्रा नक्षत्र के साथ धृति और शूल योग का भी निर्माण हो रहा है। चंद्रमा की बात करें वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे और सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे।
सोम प्रदोष पर शुभ मुहूर्त (Som Pradosh Shubh Muhurat)
सर्वार्थ सिद्धि योग तब बनता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी विशेष दिन के साथ आता है, मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोमवार पड़ रही है, जो भोलेनाथ को समर्पित है।
इसिलए इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसका मुहूर्त 23 जून की दोपहर 03:16 से 24 जून की सुबह 05:25 तक रहेगा। वहीं, पंचांग के अनुसार सोम प्रदोष के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से 12:51 तक रहेगा और राहुकाल सुबह 07:09 से 08:54 तक रहेगा।
ये भी पढ़ेंः आपका गिफ्ट किसी को बना सकता है कंगाल या धनवान, एक्सपर्ट से जानें कैसे बदलता है ग्रहों का असर शिव पुराण में बताए सोम प्रदोष के उपाय (Som Pradosh Upay By Shiv Purana)
1.शिव पुराण के अनुसार सोमवार का दिन चंद्र देव (सोम) से भी जुड़ा है, जिन्होंने भगवान शिव की आराधना करके क्षय रोग से मुक्ति पाई थी और माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था। इसलिए इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख-शांति के साथ सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
2. शिव पुराण के अनुसार धन से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने और मानसिक समस्याओं से राहत पाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव को जल अर्पित करना चाहिए और अक्षत (चावल के साबूत दाने) चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही चावल, चीनी और दूध समेत सफेद चीजों का दान करना चाहिए।
3. शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए भी शिव पुराण में कई धार्मिक उपाय बताए गए हैं। इसमें बताया गया है कि व्यक्ति को हर दिन शिवलिंग पर जल, घी अर्पित करना चाहिए। इसके साथ उन्हें आक का फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र अर्पित करने से भी विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
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सोम प्रदोष पूजा विधि (Som Pradosh Puja Vidhi)
1.भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
2. एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें। 3. गंगाजल से अभिषेक करें और बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल चढ़ाएं। लेकिन, एकादशी के दिन भगवान शिव को अक्षत नहीं चढ़ाना चाहिए।
4. भोलेनाथ की पूजा के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ानी चाहिए। 5. इसके साथ ही भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें और सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें और अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
6. शिव पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसमें व्रती को सूर्यास्त से पहले फिर स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। 7. व्रत के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।