एसओजी के पुलिस उपायुक्त जयराज सिंह वाला ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि 50-55 रुपए के ऑस्ट्रेलियन डॉलर को कुछ लोग 40 रुपए में बेच रहे हैं। इसके आधार पर नजर रखी और 50 की दर के 119 फर्जी ऑस्ट्रेलियन डॉलर के नोटों के साथ रौनक राठौड़ को पकड़ लिया। उससे पूछताछ में उसने बताया कि यह डॉलर उसे उसके शेठ खुश पटेल ने दी है। उसके बाद खुश पटेल को पकड़ा। उसे साथ रखकर टीम ने वटवा इलाके में प्लेटिनियम एस्टेट में स्थित शेड में दबिश दी। जहां से से मौलिक पटेल और ध्रुव देसाई को पकड़ा। ये दोनों यहां पर मशीन और प्रिंटर की मदद से फर्जी ऑस्ट्रेलियन डॉलर को छापते हुए मिले। यहां से 50 के दर के फर्जी 32 ऑस्ट्रेलियन डॉलर जब्त किए गए। डॉलर की छापी गई 18 सीट, प्रिंटर, रॉ मटीरियल सहित 12 लाख का मुद्दामाल जब्त किया।
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला मौलिक मुख्य आरोपी
वाला ने बताया कि अहमदाबाद में फर्जी ऑस्ट्रेलियन डॉलर छापकर सस्ते में बेचने का विचार मौलिक पटेल का है। उसने ही पूरा षडयंत्र तैयार किया। यह 20 साल से ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहता है। इसने एमबीए की पढ़ाई की है। फिलहाल चार पांच ट्रक का संचालन करता है। दो महीने पहले ही अहमदाबाद आया था। उसने अहमदाबाद के घोडासर निवासी ध्रुव देसाई (20) के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियन डॉलर को छापने और सस्ते में बेचने की योजना बनाई।
गुगल के जरिए डॉलर के बारे में जाना, डिजाइन की तैयार
वाला ने बताया कि जांच में पता चला कि मौलिक और ध्रुव ने गुगल के जरिए ऑस्ट्रेलियन डॉलर, उसकी गुणवत्ता, उपयोग में लिए जाने वाली प्लास्टिक , डिजाइन के बारे में जाना। फिर उसमें उपयोग में लिए जाने वाले प्लास्टि को कालूपुर की एक दुकान से खरीदा। डॉलर छापने के लिए प्रिंटर व मशीन भी इन्होंने करीब 9 लाख रुपए में अहमदाबाद से ही खरीदी थी। डिजाइन को नेट से डाउनलोड कर बायो टेक्नोलॉजी तृतीय वर्ष के छात्र ध्रुव देसाई ने कंप्यूटर पर तैयार किया। इन्होंने वटवा में इसे छापना शुरू किया। फिर इन्होंने खुश को पांच प्रतिशत कमीशन का लालच देकर डॉलर को 40 रुपए में बेचने की योजना बनाई। खुश ने 131 डॉलर लिए और रौनक को बेचने के लिए दिए। रौनक को डॉलर सस्ते में बेचते हुए पकड़ लिया। आरोपी अहमदाबाद से ऑस्ट्रेलिया घूमने जाने वाले लोगों को सस्ते में ऑस्ट्रेलियन डॉलर देकर मुनाफा कमाने की योजना पर काम कर रहे थे।