वर्ष 2010 से पुस्तकों को मुफ्त में लोगों को भेंट करने वाले सोलंकी का दावा है कि अब तक वे 30 हजार पुस्तक लोगों को बांट चुके हैं। इसके लिए उन्हें बस किसी अवसर का इंतजार रहता है। उन्होंने 100 से ज्यादा कार्यक्रमों में पुस्तकें बांटी हैं। उनका मानना है कि मोबाइल पर ऑनलाइन पुस्तक पढ़ने में वह लगाव नहीं होता जो पुस्तक पढ़ने में होता है। उन्होंने बताया कि वे खुद के जन्मदिन के साथ-साथ संस्था के स्थापना दिवस पर और उसके कर्मचारियों के जन्मदिन पर भी पुस्तक बांटते हैं।
किताबों में छिपे ज्ञान से ही मिली बढ़ने की प्रेरणा
डॉ.सोलंकी बताते हैं कि उन्हें आज जो सफलता मिली है, वह पुस्तकों की बदौलत है। ऐसे में उनकी कोशिश है कि ज्यादा से युवा और लोग पुस्तकें पढ़ें और आगे बढें। ऐसे में वे मुफ्त में पुस्तक देते हैं ताकि व्यक्ति को पुस्तक खरीदनी न पड़े। पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं।
गांव में बनाया छोटा पुस्तकालय, भेंट की 6 हजार पुस्तकें
उन्होंने 2016 में मोरबी जिले की हलवद तहसील में स्थित उनके पैतृक गांव वांकिया में छोटा पुस्तकालय शुरू किया। ग्राम पंचायत भवन में इसके लिए धार्मिक, साहित्य व करियर से जुड़ीं 6 हजार पुस्तकें भेंट की हैं। यहां कई युवा और बुजुर्ग बैठकर पुस्तकें पढ़ते हैं।
तैरती पुस्तक, ग्रीन रीडिंग सेक्शन की पहल
राजकोट, भुज के कई इंजीनियरिंग कॉलेज में सहायक ग्रंथपाल रहे चुके सोलंकी ने बताया कि वहां विद्यार्थियों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित करने को तैरती पुस्तक अभियान छेड़ा। एसआर पटेल इंजीनियरिंग कॉलेज लाइब्रेरी के लिए ग्रीन रीडिंग सेक्शन (झोपड़ी) बनाने के लिए तत्कालीन सीएम विजय रूपाणी और तेजी से किताब पढ़ने की आदत डालने की पहल और तैरती पुस्तक पहल के लिए तत्कालीन सीएम आनंदीबेन पटेल ने भी उन्हें प्रशंसा पत्र दिए। जीटीयू में पुस्तक प्रेम पर्व पर 1500 पुस्तक बांटीं इसके लिए सीएम भूपेंद्र पटेल ने गत महीने प्रशंसा पत्र दिया।