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अहमदाबाद

कर्मवाद का प्राण तत्व है जैसी करनी, वैसी भरनी : आचार्य महाश्रमण

मेहसाणा के उंढाई से 9 किमी का विहार कर पहुंचे साबरकांठा जिले के सुद्रासणा हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण बुधवार को मेहसाणा के उंढाई से 9 किमी का विहार कर साबरकांठा जिले के सुद्रासणा पहुंचे।बी.एच. गरड़ी हाईस्कूल में आचार्य ने कहा कि कर्मवाद का प्राण तत्व जैसी करनी, वैसी भरनी है। […]

अहमदाबादMay 21, 2025 / 10:44 pm

Rajesh Bhatnagar

मेहसाणा के उंढाई से 9 किमी का विहार कर पहुंचे साबरकांठा जिले के सुद्रासणा

हिम्मतनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण बुधवार को मेहसाणा के उंढाई से 9 किमी का विहार कर साबरकांठा जिले के सुद्रासणा पहुंचे।
बी.एच. गरड़ी हाईस्कूल में आचार्य ने कहा कि कर्मवाद का प्राण तत्व जैसी करनी, वैसी भरनी है। आगम में कहा कहा गया है कि किए हुए कर्मों से जीव को छुटकारा नहीं मिलता है। उसे अपने कर्म भोगने ही होते हैं अथवा निर्जरा से कर्मों को काट लिया गया हो तो कर्म समाप्त हो सकते हैं। आदमी जैसा कर्म करता है, वैसा फल भी पाता है। कर्मवाद का प्राण तत्व जैसी करनी, वैसी भरनी है। जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल भी प्राप्त होगा।
जैनिज्म में आठ कर्मों की बात बताई गई है। इन आठ कर्मों में सबसे मुख्य मोहनीय कर्म होता है। पाप कर्मों का बंध कराने में सबसे बड़ा योगदान मोहनीय कर्म का ही होता है। इस जाल से मुक्त होना ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

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