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अजमेर

सात दिन में साबित करो पहचान…वरना छोड़ना होगा शहर, जानें पूरा मामला

बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल के संदिग्धों ने भी शहर छोड़ना शुरू कर दिया है।

अजमेरMay 06, 2025 / 02:30 pm

Kamlesh Sharma

रातीडांग क्षेत्र में पत्रिका से बातचीत करते पश्चिम बंगाल के लोग।

मनीष कुमार सिंह/अजमेर। बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल के संदिग्धों ने भी शहर छोड़ना शुरू कर दिया है। पुलिस ने संदिग्धों को 7 दिन के भीतर अपने पैतृक निवास स्थान के थाने से पहचान का सत्यापन करा दस्तावेज पेश करने की मोहलत दी है। इसके बाद बीते तीन दिन में एक हजार से ज्यादा दिहाड़ी श्रमिक व घरेलू नौकर शहर से पलायन कर गए हैं।

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पुलिस ने धरे 2151 संदिग्ध

पत्रिका पड़ताल में आया कि 2 मई को जिला पुलिस ने बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों की धरपकड़ अभियान में जिलेभर में 2151 संदिग्धों को दबोचा था। अधिकांश के पास पश्चिम बंगाल के आधार कार्ड थे। पुलिस ने उन्हें 7 दिन में पैतृक निवास (पश्चिम बंगाल) की पहचान को संबंधित थाना पुलिस से सत्यापित कराने की मोहलत दी है। पुलिस कार्रवाई से घबराए करीब एक हजार परिवार पहले ही दिन शहर से पलायन कर गए। बीते दो दिन में यह आंकड़ा 1500 पार जा चुका है। रातीडांग, ईदगाह बंगाली गली, चौरसियावास के आसपास से अगले दो दिन में 400 और बंगाली परिवार जाने की तैयारी कर चुके हैं।

पुलिस ने दी मोहलत

गत 2 मई को पुलिस ने अभियान चलाते हुए अजमेर दरगाह अन्दर कोट, रातीडांग ईदगाह, पुष्कर, सरवाड़, किशनगढ़ मार्बल एरिया में 2151 से ज्यादा संदिग्धों को पकड़ा था। दरगाह, सरवाड़ व गंज थाना पुलिस ने संदिग्धों की भीड़ में 5 बांग्लादेशी घुसपैठिए भी पकड़े। जिनके निष्कासन की कार्रवाई शुरू कर अन्य संदिग्धों को स्वयं की पहचान संबंधित मूल निवास स्थान की थाना पुलिस से सत्यापित कराने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। इसके तहत पश्चिम बंगाल के पैतृक आवास का संबंधित पुलिस से सत्यापित प्रमाण-पत्र, पंचायत का सर्टिफिकेट और जमीन या मकान के दस्तावेज की फोटो मांगी है। पुलिस की मोहलत 9 मई को समाप्त होने के बाद इन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बोली खोल रही पोल. . .

पत्रिका टीम रातीडांग बंगाली गली पहुंची तो यहां मिले पोल्टू शेख ने बताया कि सोमवार रात ट्रेन से शेष रहे पश्चिम बंगाल श्रमिक निकल जाएंगे। बंग्ला भाषा के कारण पुलिस उन्हें संदिग्ध मान रही है। आधार कार्ड, वोटर कार्ड दिखाए लेकिन उन्हें पुलिस वेरिफिकेशन, पंचायत सर्टिफिकेट व मकान या जमीन के कागज मंगवाए हैं।

घरेलू कामकाज-दिहाड़ी मजदूरी

सदाकाश उर्फ आकाश ने बताया कि महिलाएं घर में झाडू-पौंछा व पुरुष चूने-पत्थर का काम कर भरण-पोषण करते हैं। लेकिन तीन दिन से पुलिस ने दबाव बना रखा है। मजूदरी का पैसा मिलते ही गांव चले जाएंगे। गौरतलब है कि रातीडांग, ईदगाह क्षेत्र में रहने वाले बंगाली पंचशील नगर, अलखनन्दा कॉलोनी, बलदेव नगर, वैशालीनगर के आसपास के इलाकों में मजदूरी करते हैं। बीते 3-4 दिन में इन क्षेत्रों में कामगारों का टोटा हो गया है।

इनका कहना है…

संदिग्धों को सात दिन में संबंधित थाने से पहचान की तस्दीक कराने की हिदायत दी गई है। जो वास्तविक पश्चिम बंगाल और श्रमिक होगा वो तस्दीक करवाकर लौट जाएगा। बिना पहचान तस्दीक कार्रवाई के किसी भी संदिग्ध को थाना क्षेत्र में नहीं रहने दिया जाएगा।
अरविन्द सिंह चारण, थानाप्रभारी, क्रिश्चियन गंज

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