केंद्र सरकार ने सभी तरह के भवन निर्माण पर लागत का एक प्रतिशत सेस राजस्थान में 2009 से लागू किया है। यह सेस भवन एवं अन्य निर्माण कर्मी निधि में जमा होना था। राशि का उपयोग कार्मिक कल्याण के कार्यों में किया जाना था।
निगम-एडीए की त्रुटि अधिनियम के अनुसार भवन निर्माण की अनुमति देते समय यह शुल्क वसूल लिया जाकर संकलित रूप से श्रम विभाग को जमा कराने का प्रावधान है। अजमेर में भवन निर्माण की अनुमति देने वाली संस्थाएं नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण एवं रीको हैं। कायदे से निकायों पर राशि वसूलने की जिम्मेदारी थी। अब 17 साल बाद यह राशि मय ब्याज मांगी जा रही है।जताई नाराजगीहाल में जिला स्तरीय औद्योगिक सलाहकार समिति की बैठक हुई। इसमें व्यापारिक व औद्योगिक संस्थाओं सहित लघु उद्योग भारती के पदाधिकारियों ने सेस वसूलने पर ऐतराज जताया। इसको लेकर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है।
इनका कहना है… स्थानीय निकाय ने नक्शा स्वीकृत करते हुए सेस नहीं वसूला तो यह उनके बीच की बात है। विभाग नियमानुसार सर्वेक्षण के बाद नोटिस जारी कर सेस वसूलता है। विश्वेश्वर दयाल, संभागीय श्रम आयुक्त, श्रम विभाग
स्थानीय निकाय अनेक प्रकार के मदों में शुल्क वसूलते हैं। निकायों की गलती का खामियाजा आम जनता पर नहीं थोपा जाना चाहिए। श्रम विभाग की इस मुहिम को स्थगित करने व ब्याज माफ़ कर मूल राशि जमा कराने की सहूलियत दी जानी चाहिए।-कुणाल जैन, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती, अजमेरनिकायों के सेस समय पर नहीं वसूले जाने से कई मामलों में तो ब्याज की राशि मूल राशि से कई गुना हो चुकी है। यह न्यायसंगत नहीं है। ब्याज और जुर्माना राशि में छूट मिलनी चाहिए।
-राजेश बंसल अध्यक्ष लघु उद्योग भारती, पालरा